Elon Musk Offers Job: बिना सैलरी के 80 घंटे काम करने वाले लोगों की तलाश में हैं एलन मस्क, आप भी कर सकते हैं अप्लाई

DOGE का काम सरकारी विभागों में होने वाले फिजूलखर्च पर रोक लगाना, नियम-कानूनों को आसान बनाना और सरकारी कामों में तेजी लाना है. यह डोनाल्ड ट्रंप की ‘सेव अमेरिका मूवमेंट’ का हिस्सा है.

Elon Musk
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:42 PM IST
  • कौन काम कर सकता है DOGE में?  
  • सोशल मीडिया पर दिख रहे हैं मिक्स्ड रिएक्शन

एलन मस्क के एक अनोखे जॉब ऑफर ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है. मस्क, पूर्व रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी के साथ मिलकर Department Of Government Efficiency (DOGE)  को लीड करेंगे. इस डिपार्टमेंट का काम सरकारी खर्चों में कटौती करना, प्रशासन को दुरुस्त बनाना और गैरजरूरी नियमों को खत्म करना है.

हालांकि इस डिपार्टमेंट में काम करने के लिए मस्क ने ऐसी शर्तें रखी हैं, जिन्हें सुनकर लोग हैरान हो रहे हैं. मस्क को ऐसे हाई-आईक्यू स्मॉल-गवर्नमेंट रिवोल्यूशनरीज की तलाश है, जो हफ्ते में 80 घंटे से ज्यादा काम कर पाएं और वो भी बिना सैलरी के. 

DOGE का मतलब क्या है और इसका काम क्या होगा? 
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में वादा किया था कि वे सरकारी खर्चों में बड़ी कटौती करेंगे और प्रशासन (Administration) को सुधारेंगे. इस वादे को पूरा करने के लिए उन्होंने DOGE  नाम का नया डिपार्टमेंट बनाया है. जिसे मैनहट्टन (Manhattan) प्रोजेक्ट  भी कहा जा रहा है. मैनहट्टन प्रोजेक्ट में अमेरिका के वैज्ञानिकों की एक टीम ने दुनिया का पहला परमाणु बम बनाया था. यह एक बहुत बड़ी वैज्ञानिक खोज थी.

DOGE का काम सरकारी विभागों में होने वाले फिजूलखर्च पर रोक लगाना, नियम-कानूनों को आसान बनाना और सरकारी कामों में तेजी लाना है. यह डोनाल्ड ट्रंप की ‘सेव अमेरिका मूवमेंट’ का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य अमेरिका को वित्तीय और प्रशासनिक (financial and administrative) रूप से मजबूत बनाना है. इस डिपार्ट्मेंट में लोगों के भर्ती के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क और विवेक रामास्वामी को जिम्मेदारी सौपी हैं. 

कौन काम कर सकता है DOGE में?  
DOGE  ने हाल ही में अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट के जरिए एक पोस्ट शेयर की है. जिसमें बताया गया है, कि उन्हें ऐसे लोग चाहिए जो ‘हाई-आईक्यू’ वाले हों और जिनमें देश के लिए कुछ बड़ा करने का जज्बा हो. पोस्ट में यह भी साफ तौर कहा गया है कि ये नौकरी उन लोगों के लिए नहीं है, जो पार्ट-टाइम काम करना या सिर्फ आइडिया देने आते हैं. DOGE  को ऐसे लोग चाहिए जो दिन-रात मेहनत और अनग्लैमरस कॉस्ट-कटिंग यानी बिना शोहरत पाए सरकारी खर्चों को कम करने का काम कर सकें.

बता दें कि DOGE के इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर खलबली मचा दी है. इसमें लिखा है कि “अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं, तो अपना CV DOGE के  ऑफिशियल अकाउंट पर भेज सकते हैं. एलन मस्क और विवेक रामास्वामी खुद उन एप्लीकेशन को रिव्यू कर केवल टॉप 1% लोगों का चयन करेंगे.”

सोशल मीडिया पर दिख रहे हैं मिक्स्ड रिएक्शन
ट्विटर पर DOGE की इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस शुरू हो गई है. जहां एक तरफ मस्क और ट्रंप समर्थक इसे देशभक्ति और सेवा का बेहतरीन मौका बता रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर कई लोग इसे ‘शोषण’ करार दे रहे हैं. आलोचकों का कहना है कि यह कर्मचारियों की गरिमा और मानवाधिकारों के खिलाफ है. कुछ लोगों ने तो इसे भारतीय उद्योगपतियों (industrialists) के बयानों से जोड़ दिया है.  जिसमें इंफोसिस के सह-संस्थापक (co-founder) नारायण मूर्ति और ओला के सीईओ भविष अग्रवाल ने हाल ही में 70 घंटे वर्किंग ऑवर्स का सपोर्ट किया था. 

मस्क और ट्रंप का यह बड़ा कदम क्यों? 
यह पहल ट्रंप के बड़े फैसलों में से एक है. ट्रंप और मस्क का मानना है कि अमेरिका के $2 ट्रिलियन सरकारी खर्च को कम करना,  गैरजरूरी नियमों को खत्म करना, ‘सेव अमेरिका मूवमेंट’ के लिए जरूरी है. यह पहल देश के लिए ऐतिहासिक बदलाव ला सकती है. लेकिन इसके लिए हजारों कर्मचारियों को अपने आराम, सम्मान, और आय का बलिदान देना होगा.

यह स्टोरी निहारिका ने लिखी है, निहारिका GNTTV में बतौर इंटर्न काम कर रही हैं.

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