पद्मश्री से सम्मानित की गई अफ्रीकी मूल की सीद्दी समाज की हीरबाई लोधी कौन हैं?

हीरबाई खुद काफी कम पढ़ी लिखी हैं, लेकिन सीद्दी समुदाय के लोगों के उत्थान के लिए उन्होंने काफी काम किया है. हीरबाई सीद्दी समाज में शिक्षा के प्रमाण को बढ़ाने के लिए काम किया. हीरबाई ने खुद यहां के लड़के और लड़किओं को शिक्षा दिलवाने के लिए लगातार प्रयास किया.

Heerbai Lodhi
gnttv.com
  • अहमदाबाद,
  • 26 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:34 PM IST

भारत सरकार ने गिर के सोमनाथ जिले के तलाला तहसील के जांबुर गाम की रहने वाली अफ्रीकी मूल की सीद्दी समाज की महिला हीरबाई लोधी को पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. सालों पहले जूनागठ के नवाब ने अफ्रीका से इस अफ्रिकी आदिवासी जाती के लोगों को भारत में ला कर बसाया था, जो आज सीद्दी समुदाय के तौर पर जाने जाते हैं. ये लोग गुजरात के गीर के जंगल में रहते हैं. 

हीरबाई खुद काफी कम पढ़ी लिखी हैं, लेकिन सीद्दी समुदाय के लोगों के उत्थान के लिए उन्होंने काफी काम किया है. हीरबाई सीद्दी समाज में शिक्षा के प्रमाण को बढ़ाने के लिए काम किया. हीरबाई ने खुद यहां के लड़के और लड़किओं को शिक्षा दिलवाने के लिए लगातार प्रयास किया. सीद्दी महिलाओं को रोजगार हासिल करवाना और सामाजिक कार्यो के जरिए समाज में बदलाव लाना यहीं उनके जीवन का मकसद बन गया था. इसी कार्य के लिए अब केन्द्र सरकार ने पद्मश्री अवॉर्ड से उन्हें सन्मानित करने की घोषणा की गई है. 

14 साल की उम्र में हीरबाई की शादी होने के बाद उनका जीवन काफी कठिनाईओं से भरा हुआ था. बस तब ही से उन्होंने सीद्दी समाज को आगे लाने का प्रयास शुरू कर दिया था. जिसमें उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना रेडियो. रेडियो कार्यक्रम के जरिए सरकार की योजनाओं की जानकारी और विकास के कार्यक्रमों की जानकारी हासिल कर उनहों ने काम की शुरुआत की. पढ़े लिखे ना होने के बावजूद सरकारी योजनाओं की जानकारी लिए वो सचिवालय आते. गांव में पुरुषों के जरिए कई बार हीरबाई का विरोध भी किया गया. लेकिन महिलाओं के लिए कुछ करने की उनकी चाह ने आज इस पूरे इलाके में शिक्षा की एक नई ज्योत जलाई है.

साथ ही गांव की महिलाओं की छोटी छोटी बचत से महिलाओं के लिए मंडली की शुरुआत की थी. जिसमें महिलाओं की तादाद बढ़ने के बाद उन्होंने महिलाओं का बैंक में अकाउंट खुलाने के लिए काफी मेहनत की. यहां की महिलाएं पढ़ी लिखी नहीं थी. वो बैंक के बारे में नहीं जानती थीं. वैसे में हीरबाई ने खुद यहां महिलाओं के लिए बैंक के अकाउंट खुलवाने के लिए काफी मेहनत की और बैंक के चक्कर काटे.

-अहमदाबाद से गोपी मनियार की रिपोर्ट

 

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