सुशील आहूजा उर्फ गिटार अंकल की उम्र 65 साल हो चली है. इसके पहले शायद ही किसी को गिटार अंकल का पूरा नाम पता हो. एमटेक की पढ़ाई करने के बाद गिटार अंकल ने विदेशों में नौकरी की, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उनका एक ही मकसद है कि पूरी दुनिया को हिंदू मुस्लिम एकता का संदेश दिया जाए. सब को ये बताया जाए कि वह किसी भी जाति या धर्म से पहले एक इंसान हैं.
अपनों को खोया तो परायों को अपनाया
गिटार अंकल ने शादी नहीं की वो बताते हैं कि उनके बड़े भाई और छोटे भाई का परिवार ही उनके लिए सब कुछ था लेकिन कुछ साल पहले बड़े भाई की अचानक मौत हुई उसके कुछ ही दिन बाद पिताजी की भी मौत हो गई. जब कोविड आया तो मेरे दूसरे भाई भाभी और उनकी एक बेटी की मौत हो गई. इन सब से वो बेहद सदमे में थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने दूसरों में अपनों को देखना शुरू किया और आज कई ऐसे युवाओं का सहारा बन गए हैं, जो अपने जीवन में कुछ करना चाहते हैं आगे बढ़ना चाहते हैं.
बच्चों के लिए की लाइब्रेरी की शुरुआत
गिटार अंकल ने गरीब बच्चों के लिए लाइब्रेरी की शुरुआत की. गिटार अंकल की लाइब्रेरी से पढ़कर अजीत कुमार अब एक आईएएस ऑफिसर हैं. गिटार अंकल की इस लाइब्रेरी से निकलकर कई बच्चे आईएएस बने हैं और दूसरी अच्छी नौकरी तक पहुंचे हैं.
धर्म के नाम पर भेदभाव से है लड़ाई
गिटार अंकल को गाने का भी बहुत शौक है. वो अपने गानों से काफी अच्छे संदेश देने की कोशिश करते हैं. वो कहते हैं कि लोगों को एक होकर रहना चाहिए, उन्हें हिंदू मुस्लिम या धर्म या फिर किसी जाति के नाम पर बांटा नहीं जाना चाहिए. वो कहते हैं कि वो एक ऐसा कानून लाने की कोशिश कर रहे हैं जिसके जरिए 18 साल से कम उम्र के बच्चे को उसकी जाति और धर्म लिखे बिना सर्टिफिकेट मिले.
गिटार अंकल यूं ही माहौल के हिसाब से गाने गाते रहते हैं गिटार अंकल कहते हैं, कि वो एक ऐसी पॉलिटिकल पार्टी बनाना चाहते हैं, जो हिंदू मुस्लिम की बात ही न करे. इसके लिए वो कई युवाओं को तैयार कर रहे हैं. आने वाले वक्त में वो इसी पॉलिटिकल पार्टी को अपनी सारी प्रॉपर्टी दान कर देंगे.