कहते हैं न कि अगर दिल में कुछ करने का जुनून हो और मेहनत करने का जज्बा हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता. परिश्रम की बदौलत इंसान अपनी किसमत को बदल सकता है. ऐसा ही एक उदहारण सहरसा जिले के पतरघट में मिलता है, जहां एक महिला ने अपनी मेहनत के दम पर अपनी तकदीर बदल डाली.
कैसे बदली किसमत
दरअसल जया कुमारी नाम की यह महिला काफी गरीबी में अपना जीवन गुजार रही थीं. पति मजदूरी किया करते थे. कभी उन्हें काम मिलता को कभी काम नहीं मिलता था. उसके घर गरीबी का आलम यह था कि किसी दिन खाना बनता था तो किसी दिन पूरे परिवार को भूखे पेट ही सोना पड़ता था. पति ने बाहर जाकर मेहनत-मजदूरी की. लेकिन इसके बाद भी उनके दिन नहीं बदले. जिसके बाद जया कुमारी के मन में कुछ करने की सूझी.
इसके लिए वह जीविका के एक समूह से जुड़ गईं. जिसके बाद जया कुमारी ने 50 हजार रुपये का लोन लिया और अपने घर में ही अचार बनाने का कारोबार शुरू किया. और किसमत की बात है कि उका कारोबार चल पड़ा. साथ ही दिन-प्रतिदिन उसके अचार की डिमांड बढ़ने लगी. जया के बनाए अचार को गांव के अलावा आसपास के बाजारों और होटलों में बिकने लगा. इससे जया कुमारी की कमाई में और इजाफा हो गया. इधर जया अपने मेहनत से कारोबार को और फैलाया. जया कुमारी का बिजनस आज इतना फैल चुका है कि वह 30 अलग-अलग किस्म के अचार बनाती हैं.
खुद लिखी अपनी किसमत
आज स्थिति यह है कि बिहार के सभी जिलों में लगने वाले सरस मेले में जया के अचारों का भी स्टॉल लगता है. जहां वह सप्ताह भर में दो से तीन लाख रुपए का अचार बेच लेती हैं. जया की आर्थिक स्थिति सुधर चुकी है. वह अपने पति और बच्चों के साथ खुश है. जया कुमारी के पति भी अब उनके इस कारोबार में मदद करते हैं. अब उसके बच्चे भी स्कूल जाते है. सबसे बड़ी बात तो यह कि अचार बनाने के हर सीजन में जया गांव की दर्जन भर महिलाओं को रोजगार भी दे रही है.
-धीरज कुमार सिंह की रिपोर्ट