Women's Day Special 2022: 80 साल की गढ़वाली दादी ने पेश की मिसाल, 700 से ज्यादा पेड़ लगाकर खड़ा किया जंगल

प्रभा देवी ने स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई भले ही नहीं की है लेकिन प्रकृति का महत्व वह किसी पढ़े-लिखे इंसान से भी ज्यादा अच्छे से समझती हैं. आज जब शहरों में बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी करने के लिए पढ़े-लिखे लोग पेड़ों को काट रहे हैं, वहीं इस गढ़वाली दादी ने 700 से भी ज़्यादा पेड़ लगाकर गाँव में एक जंगल खड़ा कर दिया है. 

Prabha Devi (Photo: Atul Semval)
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 08 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST
  • 700 से ज्यादा पेड़ लगाकर खड़ा किया जंगल
  • बच्चों की तरह करती हैं पेड़ों की देखभाल

महिलाओं को जीवनदायिनी कहा जाता है. क्योंकि वह सिर्फ मानव जीवन की नहीं बल्कि प्रकृति में मौजूद सभी जीवों की देखभाल करती हैं. और उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले के पसालत गाँव में रहने वाली 80 वर्षीया प्रभा देवी इस बात की एक सटीक उदाहरण हैं. 

प्रभा देवी ने जबसे होश संभाला तबसे वह न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पेड़-पौधों की देखभाल कर रही हैं. उन्होंने स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई भले ही नहीं की है लेकिन प्रकृति का महत्व वह किसी पढ़े-लिखे इंसान से भी ज्यादा अच्छे से समझती हैं. 

आज जब शहरों में बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी करने के लिए पढ़े-लिखे लोग पेड़ों को काट रहे हैं, वहीं इस गढ़वाली दादी ने 700 से भी ज़्यादा पेड़ लगाकर गाँव में एक जंगल खड़ा कर दिया है. 

हर जगह लगाती हैं पेड़: 

मिले हैं सम्मान भी

प्रभा देवी ने सिर्फ खुली जगहों में ही पेड़ नहीं लगाए हैं. उनका अपना घर भी तरह-तरह के फल और फूलों के पेड़ों से भरा हुआ है. बाहर से देखने में उनका घर किसी टूरिस्ट जगह से कम नहीं लगता है. और इसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ प्रभादेवी को जाता है. 

उनका कहना है कि उन्हें जहां मौका मिलता है वह पेड़ लगाती हैं. उन्हें अपने गाँव और पेड़ों से इतना प्यार है कि वह कभी पूरे एक दिन के लिए भी गाँव से बाहर नहीं जातीं. घर-परिवार के सभी काम करते हुए प्रभा देवी कभी भी अपने पेड़ों की देखभाल करना नहीं भूलती हैं. 

लगा दिए रुद्राक्ष और काफल जैसे पेड़ भी: 

दूसरों को भी किया प्रेरित

प्रभा देवी न सिर्फ अपने परिवार, गांव बल्कि पूरे देश के लिए मिसाल हैं. वह कभी भी किसी पेड़ को जड़ से नहीं उखाड़ती हैं. उनका लगाया हुआ हर एक पेड़ पनपा है. और तो और उनके जंगल में आपको ऐसे पेड़ भी मिल जायेंगे जो इस इलाके के स्थानीय नहीं हैं पर फिर भी वे उन्हें उगाने में कामयाब रही हैं. 

इन गढ़वाली दादी के जंगल में आपको रुद्राक्ष, और काफल जैसे पेड़ मिल जायेंगे. उनके जंगल में ऐसे भी पेड़ हैं जिनकी लकड़ी से फर्नीचर बनता है. उनके लगाए पेड़ों से खूब फल भी उतरते हैं. लेकिन प्रभा कभी फलों को नहीं बेचती हैं बल्कि गांव के बच्चे इनका आनंद लेते हैं. 

प्रभा देवी के लिए उनके पेड़ और उनका जंगल ही उनकी ज़िन्दगी हैं. आज उनसे प्रेरित होकर गांव के बच्चे से लेकर बूढ़े तक पौधरोपण कर रहे हैं. कभी लकड़ियों के लिए जंगलों को काटने वाले ग्रामीण प्रभा देवी से प्रेरित होकर जंगलों को तस्करों से बचा रहे हैं. 

प्रभा देवी आज हम सबके लिए एक मिसाल हैं. उम्मीद है कि और भी लोग उनसे प्रेरणा लेकर इसी तरह पर्यावरण के लिए काम करें. 


 

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