आज विश्व मच्छर दिवस है, यह खास दिन ब्रिटिश चिकित्सक, सर रोनाल्ड रॉस की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 1897 में रिसर्च की थी कि इंसानों में मलेरिया के लिए मच्छर ही जिम्मेदार है. लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन ने विश्व मच्छर दिवस मनाने की शुरूआत साल 1930 में की थी. इस दिन को मनाने का उद्देश्य मच्छरों से होने वाली बीमारियों के बारे में लोगों को जागरुक करना है. डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका और यह यलो फीवर जैसी अनेकों बीमारियां हैं जो मच्छर के काटने से फैलती हैं.
हर साल एक मिलियन से अधिक लोगों की मौत मच्छरों के काटने से होती है. दुनिया की 40 फीसदी आबादी ऐसे जगह पर रहती है, जहां मच्छरों का खतरा अधिक रहता है.
चलिए आपको मच्छरों से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं...
क्या आपको पता है, नर मच्छर कभी नहीं काटते, सिर्फ मादा मच्छर ही काटती है. खून में मौजूद प्रोटीन मच्छरों के अंडे के प्रजनन में मदद करता है.
एक मच्छर की उम्र दो महीने से कम होती है. नर मच्छर 10 दिनों तक और मादा मच्छर 6 से 8 हफ्ते तक जिंदा रहती है. मादा मच्छर एक वक्त में करीब 300 अंडे देती है.
क्या आप जानते हैं कि इस धरती पर इंसानों से ज्यादा मच्छर हैं? मच्छरों की 3,500 से ज्यादा प्रजातियां हैं.
मच्छरों के दांत नहीं होते इसलिए वह अपने मुंह के नुकीली और लंबे डंक से काटते हैं.
मच्छर ठंडे खून वाले जीव हैं. उनके शरीर का तापमान उनके वर्तमान स्थान के अनुसार बदल सकता है. यही कारण है कि अन्य कीड़ों की तरह मच्छर गर्मी के दौरान अधिक दिखाई देते हैं.
मच्छरों की याद्दाश्त काफी तेज होती है. रिसर्च के मुताबिक जब आप किसी मच्छर को मारने की कोशिश करते हैं, तो वो कम से कम 24 घंटे तक आपके आसपास नहीं मंडराता है.
मच्छर इंसानों की महक को पहचानते हैं. वो आपकी महक से पहचान जाते हैं कि उनका आपसे पहले सामना हुआ है या फिर नहीं.
मच्छर हमेशा कार्बन डाइऑक्साइड और लैक्टिक एसिड की ओर आकर्षित होते हैं.
मच्छरों अपने वजन तक लगभग 3 गुना खून पी सकते हैं.
मच्छरों के लिए पानी जरूरी है क्योंकि यहीं पर वे अपने अंडों से लार्वा बनाते हैं. मच्छर जन्म के 10 दिन तक पानी में ही रहते हैं.