World Radio Day: पर्यावरण संरक्षण की आवाज बन रही है कम्यूनिटी रेडियो की यह RJ, लाखों लोगों के जीवन में आ रहा बदलाव

हर साल 13 फरवरी को World Radio Day मनाया जाता है. रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से UNESCO ने इस दिन की स्थापना की थी.

RJ Varsha Raikwar
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 13 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

एक जमाना था जब स्मार्टफोन, टीवी जैसी चीजें किसी ने सपने में भी नहीं सोची थीं. लोगों के मनोरंजन का सिर्फ एक साधन था और वह था रेडियो. रेडियो भारत में सिर्फ मनोरंजन का नहीं बल्कि शिक्षा, समाचार और बदलाव का भी जरिया रहा है. जी हां, रेडियो के जरिए शहरों से लेकर गांवों तक में परिवर्तन की मुहिम चलाई गई हैं और सफल भी रही हैं. साल 1995 में कम्यूनिटी रेडियो के देशभर में लॉन्च होने के बाद यह कवायद और तेज हुई. आज भी देश के कई ग्रामीण इलाकों में सामुदायिक रेडियो बदलाव की लहर को हवा दे रहा है. इसके सबसे बेहतरीन उदाहरणों में से एक है- रेडियो बुंदेलखंड. 

बुंदेलखंड के 300 से ज्यादा गांवों को कवर करने वाला रेडियो बुंदेलखंड आज न सिर्फ बुंदेलखंड की आवाज है बल्कि यहां के लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी ला रहा है. रेडियो बुंदेलखंड एक नॉन-प्रॉफिट संस्था, Development Alternatives के तहत चलाया जा रहा है और इस वर्ल्ड बैंक से फंडिंग मिलती है. आज इस रेडियो के जरिए कई ऐसे प्रोग्राम लोगों तक पहुंचाए जा रहे हैं जो उनके जीवन को बदलने में मददगार हैं. खासकर कि एक रेडियो प्रोग्राम, शुभ कल यहां के लोगों को पर्यावरण से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रहा है.  

पहली महिला रेडियो जॉकी 
'शुभ कल' नामक प्रोग्राम को चलाती है कम्यूनिटी रेडियो की RJ वर्षा रायकवार, जो स्टेशन की पहली महिला रेडियो जॉकी हैं. अपने परिवार और समाज के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने के बाद साल 2017 से वर्षा इस रेडियो पर जलवायु और कृषि से संबंधित मुद्दों पर शुभ कल शो चला रही हैं. वर्षा मध्य प्रदेश के घोड़ाडोंगरी गांव से संबंध रखती हैं. डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्षा ने देखा कि उनका गांव धीरे-धीरे खाली हो रहा था क्योंकि किसान अपनी अनुपजाऊ जमीन को छोड़कर नौकरी के लिए  शहरों में जाने लगे.  

14 साल की उम्र में, उन्हें यह समझ नहीं आया कि पलायन की वजह मानव के अपने लालच के कारण हुआ जलवायु परिवर्तन था जो आज हम सब अपने चारों ओर देख रहे हैं. जब वर्षा को समझ में आया कि पानी और पर्यावरण की समस्या लोगों के कारण है तो उन्होंने जागरूकता बढ़ाने और लोगों के बीच पर्यावरण संबंधी चेतना जगाने को अपना मिशन बना लिया. तब उन्होंने रेडियो बुन्देलखण्ड के बारे में सुना और पर्यावरण कम्यूनिकेशन की बारीकियों को सीखने के लिए एक रेडियो स्टेशन में इंटर्नशिप की. 

उन्होंने रेडियो चैनल द्वारा कवर किए गए जैविक खेती और वर्षा जल संचयन जैसे विभिन्न विषयों के बारे में सीखा. और इस इंटर्नशिप के आठ साल बाद उन्होंने बतौर RJ रेडियो बुंदेलखंड जॉइन किया. अब वह एक घंटे के शो शुभ कल को होस्ट करती हैं, जो क्षेत्र के लगभग 250,000 निवासियों तक पहुंचता है. इसमें सरकार के पर्यावरण या कृषि विभागों से जुड़े विशेषज्ञों के साथ जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक विशिष्ट विषय पर चर्चा होती है, इस दौरान आने वाले किसानों के साथ बातचीत होती है.  

गांवों की समस्याओं पर काम 
रेडियो बुंदेलखंड क्षेत्र के लगभग 300 गांवों में ही उपलब्ध है. लेकिन इसके मोबाइल एप्लिकेशन पर देश भर के किसान इसके कार्यक्रम सुन सकते हैं जिन्हें ऐप पर लाइव स्ट्रीम किया जाता है. लाइव सेशन के अलावा, टीम कुछ एपिसोड की रिकॉर्डिंग भी करती है और 20-25 किसानों के टारगेट ग्रुपको इसे सुनाने के लिए अलग-अलग चुने गए गांवों का दौरा करती है. इसे 'नैरो कास्टिंग' कहते हैं और अब तक उन्होंने मध्य प्रदेश के निवाड़ी और उज्जैन जिलों और उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के लगभग 150 गांवों को कवर किया है. 

साल 2018 में, वर्षा ने टीकमगढ़ के ओरछा के मडोर गांव में जल संरक्षण और कम वर्षा की जरूरत वाली फसलों पर एक नैरोकास्टिंग सेशन शुरू किया. यहां पर महिलाएं यह कहकर जाने लगीं कि उनके पास पीने के लिए पानी नहीं है, वे क्या बचाकर रखेंगी?” दरअसल, हर दिन, इन महिलाओं को पानी लाने के लिए 6-7 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी. इस चर्चा से गांव की समस्या का हल सामने आया- गांव में एक पानी की टंकी का निर्माण. 

साल 2018 में ही पानी की टंकी स्थापित की गई और तब से, ग्रामीण अपने दम पर टैंक का रखरखाव कर रहे हैं, किसी भी मरम्मत कार्य के लिए व्यवस्थित रूप से धन इकट्ठा करते हैं और पानी की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित कर रहे हैं. नैरोकास्टिंग प्रोग्राम के लिए, उन्होंने जल संरक्षण, तालाब रिसायकलिंग, वर्षा जल संचयन, मेड बंधन (पानी को खेतों से बाहर बहने और मिट्टी में रिसने से रोकने के लिए सीमा), खेती में विविधता लाने, मिट्टी परीक्षण को बढ़ावा देने,  जैविक खेती और पराली जलाने से रोकने जैसे टॉपिक्स को चुना. शो के माध्यम से वर्षा न सिर्फ जागरूकता फैला रही हैं बल्कि समाधान पर भी काम कर रही हैं. 

 

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