अब तक आप 'गुड टच' और 'बैड टच' के बारे में सुनते आ रहे हैं. बच्चों को बताते-समझाते आ रहे हैं. स्कूलों में भी इसे पाठ्यक्रम के तहत शामिल किया गया है. ताकि बच्चे सुरक्षित रहें. गलत मानसिकता के शिकार ना बनें. लेकिन आज के बदले तकनीकी परिवेश में सिर्फ 'गुड टच' और 'बैड टच' को समझना काफी नहीं है. अब बच्चों को 'वर्चुअल टच' सिखाना भी जरूरी है. ये बात दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी में कही है.
Till now you have been hearing about 'good touch' and 'bad touch'. Have been telling and explaining to the children. It has also been included in the curriculum in schools. So that children remain safe. Don't become a victim of wrong mentality. But in today's changing technological environment, merely understanding 'good touch' and 'bad touch' is not enough. Now it is also important to teach 'virtual touch' to children. Delhi High Court has said this in one of its comments.