धर्म

छठ पूजा के मौके पर यहां होती है घोड़ों की पूजा, जानिए क्या है इस पूजा की खासियत

gnttv.com
  • चंदौली,
  • 29 अक्टूबर 2022,
  • Updated 5:02 PM IST
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यूं तो भगवान भास्कर की उपासना के पर्व डाला छठ में अस्ताचलगामी और अगले दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की जाती है. लेकिन एक ऐसी जगह है जहां भगवान भाष्कर के साथ साथ उनकी सवारी घोड़े की भी पूजा की जाती है. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के दीनदयाल नगर की. जहां मानसरोवर तालाब स्थित सूर्य मंदिर के पास घोड़ों की आरती कर पूरे नगर में घुमाया जाता है. और व्रती महिलाएं उनको चना और गुड़ खिलाकर सुख समृद्धि के साथ पूजा को सफल बनाने की कामना करती हैं.
 

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यह घोड़े पूरे नगर में भ्रमण करते हैं और छठ कर रही व्रती महिलाओं के घरों तक जाते हैं.जहां व्रती महिलाएं इन घोड़ों की आरती उतारती हैं और साथ ही साथ चना और गुड़ खिलाकर आशीर्वाद मांगती हैं.

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ये तस्वीर पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के दीनदयाल नगर की है. जहां डाला छठ के मौके पर व्रती महिलाएं भगवान भास्कर की सवारी घोड़े की पूजा अर्चना कर व्रत को सफल बनाने और मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना कर रही हैं. दरअसल उपासना के महापर्व डाला छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है और पूरे देश में छठ पूजा को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है.
 

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ऐसे में पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली के दीनदयाल नगर में पिछले कई सालों से भगवान भास्कर की आराधना के साथ-साथ उनके रथ को खींचने वाले अश्वों की भी पूजा की जाती है. दीनदयाल नगर में मानसरोवर तालाब के पास सूर्य भगवान का एक छोटा सा मंदिर भी है और इसी मंदिर के पास से मानसरोवर तालाब पर छठ पूजा का आयोजन करने वाले आयोजक सूर्य भगवान के रथ को खींचने वाले घोड़ों को सजाकर नगर भ्रमण के लिए छोड़ते हैं.  

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दीनदयाल नगर में डाला छठ के महापर्व के दौरान 7 घोड़ों को नगर भ्रमण कराने की शुरुआत सन 2006 में हुई थी. उसके बाद से हर साल छठ पूजा के दौरान खुद को सजा कर नगर भ्रमण कराया जाता है. दरअसल दिवाली के ठीक छह दिन बाद मनाए जाने वाले छठ पर्व का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है.कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से की गई इस पूजा से भक्तों  की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इसे करने लोग धन-धान्य,संतान सुख तथा सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहते हैं.

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साथ ही लोगों का यह भी मानना है की भगवान सूर्य की सवारी घोड़े की पूजा करने से उनका व्रत सफल होता है और घर में सुख समृद्धि आती है. ऐसी मान्यता है की डाला छठ के दौरान घोड़े के पाँव जहा भी पड़ते हैं. वह स्थान पवित्र हो जाता है.इसी आस्था के चलते इस पर्व के दौरान चन्दौली के दीनदयालनगर में मानसरोवर स्थित सूर्यमंदिर से भगवान भाष्कर की सवारी घोड़े को विधिवत सजा धजाकर पूरे शहर में घुमाया जाता है.इन अश्वों के नगर भ्रमण से लोगों में काफी उत्साह और उल्लास का संचार होता है.

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डाला छठ के मौके पर यह परंपरा तकरीबन 15 साल पहले शुरू हुई थी. मानसरोवर तालाब से यह घोड़े झुकते हैं नगर भ्रमण करते हैं और व्रती महिलाएं उनकी पूजा करती हैं. इनको गुड़ और चना खिलाती हैं साथ ही साथ इनकी आरती भी उतारती हैं. उद्देश्य बस इतना है कि भगवान भास्कर के साथ-साथ उनकी सवारी इन घोड़ों को भी प्रसन्न किया जाए. ताकि छठ का व्रत सकुशल संपन्न हो सके.

(उदय गुप्ता की रिपोर्ट)