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Saint Kabir Das Jayanti 2022: आज के जमाने में भी एकदम सटीक हैं संत कबीर के ये दोहे, पढ़ें

gnttv.com
  • 14 जून 2022,
  • Updated 9:49 AM IST
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संत कबीर इस दोहे के माध्यम से समझाना चाहते हैं कि हमारा तन या शरीर जहर से भरा हुआ है और गुरु हमारे लिए अमृत समान हैं. ऐसे मे, अगर अपने शीश यानी कि सिर के बदले भी सच्चे गुरु और उनका ज्ञान मिलता है तो हमें इस सौदे को सस्ता समझना चाहिए. 

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संत कबीर दास का कहना है कि इंसान को हमेशा ऐसे बोल या वाणी बोलनी चाहिए जिसे सुनकर दूसरों का मन खुश हो जाए. आपकी बातें यो वचन दूसरों के मन को शीतल यानी कि शांत और निर्मल करें और साथ ही, आपको खुद में भी आनंद मिले. 

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संत कबीर का कहना है कि इंसान को ऐसे लोगों को हमेशा अपने करीब रखना चाहिए जो उनकी बुराइयां उन्हें बताने से न कतराते हों. अगर कोई बार-बार आपकी गलतियां आपको दिखाता रहेगा तो आप सुधार करते रहेंगे और इस तरह आपका स्वभाव अपने आप सरल हो जाएगा. 

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कबीर दास का कहना है कि इंसान हमेशा दूसरों में खोट देखता है. हमेशा दूसरों के गलत काम हमें नजर आते हैं. लेकिन कभी अपने मन में नहीं झांकते कि हम क्या गलत कर रहे हैं. अगर हम ऐसा करेंगे तो हमें खुद से ज्यादा बुराई किसी में नहीं दिखेगी. 

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कबीर जी का कहना है कि हम सब दुख में भगवान को याद करते हैं. उनका नाम जपते हैं लेकिन सुख में उन्हें भूल जाते हैं. पर अगर हम सुख में भी भगवान को सच्चे मन से याद करते रहेंगे तो दुख आएंगे ही नहीं. 

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कबीर दास जी कहते हैं कि जिस तरह तिल के अंदर तेल होता है और आग में रोशनी होती है. वैसे ही ईश्वर भी इंसान के मन में बसते हैं. जरूरत है तो बस अपने मन में बसे ईश्वर को ढूंढने की. 

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संत कबीर का कहना है कि जहां लोग दयावान हैं वहीं धर्म का वास होता है. पर जहां लोग लोभ करते हैं वहां पाप का वास होता है. क्रोध करने से सिर्फ मनुष्य का नाश होता है. लेकिन जहां लोग क्षमा करने में विश्वास रखते हैं वहां भगवान का वास होता है. 

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कबीर जी कहते हैं कि किसी साधू से उनकी जाति पूछने की की बजाय ज्ञान लेना चाहिए. जैसे काम तलवार से होता है तो उसका मोल करें न कि म्यान का, जिसका काम सिर्फ तलवार को रखना होता है. 

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कबीर जी कहते हैं कि पोथियां पढ़ने से कोई पंडित नहीं हो जाता है. पंडित होने के लिए आपको प्रेम के ढाई अक्षर पढ़ने पड़ते हैं. इसका मतलब है कि आप कितना ही पढ़ लें लेकिन अगर आप में प्रेम, करूणा का भाव नहीं है तो ऐसी पढ़ाई का कोई फायदा नहीं. 

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कबीर दास जी का कहना है कि भगवान सिर्फ उतना ही दे कि इंसान के परिवार का पूरा पड़ जाए. इंसान खुद भी भूखा न सोए और न ही किसी साधू को अपने घर से भूखा जाने दे.