धर्म

Prayagraj Mahakumbh 2025: कुंभ और महाकुंभ में क्या है अंतर? अर्ध कुंभ से कैसे अलग है इस बार का महाकुंभ, जानिए कौन-सा कुंभ कहां लगता है?

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 30 नवंबर 2024,
  • Updated 6:13 PM IST
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कुछ ही दिनों के बाद महाकुंभ (Mahakumbh) होने वाला है. प्रयागराज में महाकुंभ (Prayagraj Kumbh) की तैयारी चल रही है. संत-साधु और अखाड़ों का आना शुरू हो गया. गंगा यमुना सरस्वती के तट पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ फिर से उमड़ने वाली है.

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महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है. इस बार महाकुंभ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने जा रहा है. प्रयागराज को बोलचाल में इलाहाबाद भी कहा जाता है. महाकुंभ 13 जनवरी 2025 को शुरू होगा  और 26 फरवरी को खत्म होगा.

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30-45 दिन तक चलने वाला महाकुंभ हिंदुओं के लिए काफी मायने रखता है. महाकुंभ 144 साल बाद फिर से आयोजित हो रहा है. कुछ साल पहले हरिद्वार में कुंभ मेला लगा था. उससे पहले भी अर्द्ध कुंभ हुआ था. महाकुंभ, कुंभ और अर्द्ध कुंभ सभी अलग-अलग है या एक ही हैं. ये सभी एक-दूसरे से कितने अलग है? आइए इस पर नजर डालते हैं.

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पौराणिक महत्व
महाकुंभ के पीछे एक पौराणिक कथा है. देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन से अमृत निकला. अमृत के लिए राक्षसों और देवताओं के बीच 12 दिनों तक लड़ाई चली. कहा जाता है कि देवताओं और राक्षसों की ये लड़ाई मनुष्यों के 12 साल के बराबर थी. यही वजह है कि हर 12 साल में एक बार कुंभ मेला मनाया जाता है.

अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अमृत का पात्र गरुड़ को दे दिया. इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें धरती पर प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिर गईं. यही वजह है कि इन चार जगहों पर भी कुंभ का आयोजन होता है.

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महाकुंभ 
प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. महाकुंभ 144 साल में एक बार ही होता है. साथ ही महाकुंभ सिर्फ इलाहाबाद के तट पर ही होता है. भारत में और किसी जगह पर महाकुंभ नहीं होता है. 

12 साल में एक पूर्ण कुंभ होता है. 12 पूर्ण कुंभ होने के बाद महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. वैसे तो सभी कुंभ का महत्व है लेकिन महाकुंभ का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है. इस महाकुंभ में लाखों लोगों के आने की उम्मीद है.

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पूर्ण कुंभ
महाकुंभ के बाद पूर्ण कुंभ आता है. इसे कुंभ भी कहा जाता है. ये कुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित होता है. कुंभ मेला नासिक, हरिद्वार, प्रयागराज और उज्जैन में होता है. राशियों के हिसाब से अलग-अलग जगहों पर कुंभ का आयोजन होता है.

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अर्द्ध कुंभ
अर्द्ध कुंभ भी हिन्दू धर्म में काफी महत्व रखता है. अर्द्ध कुंभ 6 साल में एक बार होता है. अर्ध का अर्थ यानी आधा होता है. अर्द्ध कुंभ 6 साल के अंतराल में होता है. अर्द्ध कुंभ भारत में दो ही जगह इलाहाबाद और हरिद्वार में होता है.

अर्द्ध कुंभ के अलावा एक और कुंभ होता है. ये कुंभ मेला हर तीन साल में एक बार होता है. 3 साल के अंतराल में लगने वाला ये मेला बारी-बारी से हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में लगता है.

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प्रयागराज में होने वाला कुंभ मेला 13 जनवरी से 25 फरवरी तक चलेगा. कुंभ मेले में मकर संक्राति, मौनी अमावस्या, वसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि को शाही स्नान होगा. इन शाही स्नान का कुंभ मेले में काफी महत्व माना जाता है.