धर्म

Rakshabandhan 2023: दूर कर लें सारे भ्रम, इसबार ऐसे मनाएं रक्षाबंधन का त्योहार

gnttv.com
  • 29 अगस्त 2023,
  • Updated 12:26 PM IST
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लोग इस बात को लेकर चिंता में हैं कि कहीं भद्रा के साये के बीच वो रक्षाबंधन ना मना लें. हर साल श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. इस साल भद्रा का साया पड़ने के चलते रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त और 31 अगस्त दोनों दिन मनाया जाएगा. क्योंकि मान्यता अनुसार रक्षाबंधन कभी भी भद्रा के साये में नहीं मनाया जाना चाहिए. इसकी एक खास वजह यह है कि भद्रा को अशुभ माना जाता है और भद्रा काल में होने वाले कामों को भी अच्छा नहीं मानते हैं.

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पंचांग के मुताबिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त के दिन सुबह 10:59 बजे से लग जाएगी और ये तिथि अगले दिन सुबह 7:05 मिनट तक रहेगी. लेकिन, 30 अगस्त को ही भद्रा की शुरुआत भी हो जाएगी जो रात 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 30 अगस्त के दिन रात के समय भद्रा खत्म होने के बाद राखी बांधी जा सकती है.

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वहीं इस बार रक्षाबंधन पर 700 साल बाद पंच महायोग बनने जा रहा है. 30 अगस्त को सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह पंच महायोग का निर्माण करने जा रहे हैं. ग्रहों की ऐसी स्थिति बुधादित्य, वास पति और शश योग भी बनाएगी. ऐसे में ज्योतिषविदों का कहना है कि ऐसी शुभ दशा में राखी बांधने का शुभ फल कई गुना बढ़ सकता है.
 

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31 अगस्त को पूर्णिमा सूर्योदय के बाद 06 घटी से कम है. अतः 30 अगस्त को ही पूर्णिमा मानना उचित होगा. 30 अगस्त को भद्रा प्रातः 10.58 से रात्रि 09.01 तक है. भद्राकाल में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जा सकता. अतः रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को रात्रि 09.01 के बाद ही मनाना उचित होगा. विशेष स्थिति में भद्रा के पुच्छ काल में यानि सायं 05.32 से 06.32 के बीच भी राखी बांधी जा सकती है.

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राखी का त्योहार मनाने के लिए थाल में रोली, चन्दन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें. घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती करें.

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रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें. इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं. पहले भाई को तिलक लगाएं ,फिर रक्षा सूत्र बांधे, फिर आरती करें. फिर मिठाई खिलाकर भाई की मंगल कामना करें.

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रक्षा सूत्र बांधने के समय भाई तथा बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए. रक्षा बंधवाने के बाद माता पिता और गुरु का आशीर्वाद लें तत्पश्चात बहन को सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें. 

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उपहार में ऐसी चीजें दें जो दोनों के लिए मंगलकारी हो,काले वस्त्र तथा तीखा या नमकीन खाद्य न दें.