Mathura Laxmi Puja: आख‍िर भगवान कृष्ण से क्‍यों रूठ गई थीं मां लक्ष्‍मी... मथुरा में कहां कर रहीं आज भी कन्‍हैया के आने इंतजार... जानिए यह कहानी

Laxmi Puja in Belvan in the Month of Paush: वृंदावन स्थित बेलवन में लक्ष्मी मंदिर है. यहां हर साल पौष महीने में मेला लगता है. इस मेले का आधार देवी लक्ष्मी और भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा है. आइए इसके बारे में जानते हैं.

Maa Lakshmi and Lord Krishna
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:05 AM IST
  • वृंदावन स्थित बेलवन में है मां लक्ष्मी का मंदिर
  • हर साल यहां पौष महीने में लगता है मेला 

मथुरा के कण-कण में राधारानी और कन्‍हैया के प्रेम और एक-दूसरे को रूठने-मनाने की कहान‍ियां तो आपने जरूर सुनी होंगी, लेक‍िन आज हम आपको ज‍िस क‍िस्‍से के बारे में बताने जा रहे हैं, वह कान्‍हा और राधारानी का नहीं बल्कि देवी लक्ष्‍मी के कन्‍हैया से रूठने का है. आइए जान लेते हैं क‍ि आख‍िर ये क‍िस्‍सा क्‍या है, आख‍िर क्‍यों रूठ गई थीं मां लक्ष्‍मी और कहां कर रही हैं मुरलीधर के आने का आज भी इंतजार.

गायों को चराने के लिए आते थे भगवान श्रीकृष्‍ण 
दरअसल, माता लक्ष्मी जहां कन्हैया के आने का इंतजार कर रही हैं, वहां आज मंदिर बन गया है. माता लक्ष्‍मी का यह मंद‍िर वृंदावन स्थित बेलवन में है. बेलवन वृंदावन से यमुना पार मांट की ओर जाने वाले रास्ते में आता है. यह मंदिर काफी पुराना और प्रसिद्ध है.

कहा जाता है कि इस जगह पर पहले बेल के पेड़ों का घना जंगल था, इसीलिए इसे बेलवन के नाम से जाना जाता है. इस जंगल में भगवान श्रीकृष्‍ण और बलराम अपने मित्रों के साथ गायों को चराने के लिए आते थे. इन्‍हीं जंगलों के बीच स्थित मां लक्ष्‍मी का यह प्रसिद्ध मंदिर है. श्रद्धालु चार किलोमीटर लंबे रास्ते में पैदल चलकर मां लक्ष्मी के इस मंदिर तक पहुंचते हैं. यहां हर साल पौष महीने में मेला लगता है. इसमें हिस्सा लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.

मां लक्ष्मी करने लगीं तपस्या
मंदिर के सेवायत पुजारी ने बताया बेलवन का यह मां लक्ष्मी का मंदिर बहुत ही प्राचीन है. कथा है कि एक बार ब्रज में राधा और 16108 गोपियों के साथ भगवान श्रीकृष्ण महारास लीला कर रहे थे. कथा के अनुसार मां लक्ष्मी को भी भगवान श्रीकृष्‍ण की इस महारास लीला के दर्शन करने की इच्छा हुई. इसके लिए वह सीधे ब्रज जा पहुंचीं लेकिन गोपियों के अलावा किसी अन्‍य को इस महारास लीला को देखने के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं थी. ऐसे में उन्‍हें रोक दिया गया. इसके बाद मां लक्ष्मी नाराज होकर वृंदावन की ओर मुख करके बैठ गईं और तपस्‍या करने लगीं. 

जब भगवान श्रीकृष्ण को खिलाई खिचड़ी
कहते हैं क‍ि जब माता लक्ष्‍मी तपस्‍या करने बैठी थीं तो उस समय श्रीकृष्ण महारास लीला करके थक चुके थे और मां लक्ष्‍मी से उन्‍होंने भूख लगने की बात कही. ऐसे में मां लक्ष्‍मी ने अपनी साड़ी का हिस्‍सा फाड़कर उससे अग्नि प्रज्ज्वलित की और अपने हाथों से खिचड़ी बनाकर कान्हा को खिलाई.

इसे देख श्रीकृष्ण प्रसन्न हो गए. इसी दौरान मां लक्ष्‍मी ने उनसे ब्रज में रहने की इच्‍छा जताई. इस पर श्रीकृष्ण ने उन्‍हें अनुमति दे दी. मान्‍यताओं के अनुसार यह क‍िस्‍सा पौष माह का है इसलिए यहां हर पौष माह में बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. यह भी मान्‍यता है क‍ि माता लक्ष्‍मी आज भी यहां कन्‍हैया की पूजा कर रही हैं. 

होता है खिचड़ी महोत्‍सव का आयोजन
बेलवन में पौष माह के दौरान एक अलग ही माहौल होता है. यहां पौष माह में हर गुरुवार को खिचड़ी महोत्‍सव का आयोजन क‍िया जाता है. इस मेले में भक्त दूर-दूर से हिस्सा लेने के लिए आते हैं. श्रद्धालु अपने साथ खिचड़ी बनाने की सामग्री लेकर आते हैं. वे यहां चूल्‍हा बनाते हैं और बैठकर उसमें खिचड़ी पकाते हैं. इसके बाद वे इस खिचड़ी को प्रसाद के रूप में बांटने के बाद स्‍वयं ग्रहण करते हैं. इस दौरान मां लक्ष्मी मंदिर में श्रद्धालुओं की भिड़ उमड़ी रहती है. 

 

Read more!

RECOMMENDED