हनुमान जयंती पर किया गया भंडारा, सबसे पहले भोज करने बैठी बंदरों पंगत, नजारा देख भाव-विभोर हुए भक्त

महाराष्ट्र के अकोला जिले के बार्शीटाकली तालुका स्थित कोथली बुजरूक गांव में यह पर्व एक अनोखे और प्रेरणादायी अंदाज में मनाया गया. यहां हनुमान जयंती के अवसर पर मुंगसाजी महाराज संस्थान की ओर से विशेष भंडारे का आयोजन किया गया.

Hanuman Jayanti
gnttv.com
  • अकोला,
  • 14 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 9:47 AM IST

हनुमान जन्मोत्सव पूरे देश में भक्तिभाव और उल्लास के साथ मनाया गया. जगह-जगह मंदिरों में पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और भंडारों का आयोजन हुआ. लेकिन महाराष्ट्र के अकोला जिले के बार्शीटाकली तालुका स्थित कोथली बुजरूक गांव में यह पर्व एक अनोखे और प्रेरणादायी अंदाज में मनाया गया.

यहां हनुमान जयंती के अवसर पर मुंगसाजी महाराज संस्थान की ओर से विशेष भंडारे का आयोजन किया गया. लेकिन इस आयोजन की सबसे खास बात यह रही कि भंडारे की शुरुआत इंसानों से पहले लंगूरों की पंगत से की गई. गांव के हनुमान मंदिर परिसर में एक लंबी कतार में दर्जनों लंगूर बड़े अनुशासन और शांति से बैठकर भोजन करते नजर आए.

हनुमानजी का स्वरूप हैं वानर 
यह दृश्य देखकर वहां मौजूद श्रद्धालु भावुक हो उठे. उनका मानना है कि हनुमान जी को वानर स्वरूप माना जाता है, और उनके जन्मदिवस पर सबसे पहले उनके स्वरूप – यानी बंदरों को भोजन कराना सच्ची श्रद्धा का प्रतीक है. पिछले कई सालों से यह परंपरा कोथली गांव में निभाई जा रही है. यह आयोजन न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि मानव और जीव-जंतुओं के बीच सहअस्तित्व और करुणा का संदेश भी देता है.

इस अवसर पर मंदिर के पुजारी रामदास महाराज शिंदे ने बताया कि, "हम हर साल हनुमान जयंती पर सबसे पहले बंदरों को भोजन कराते हैं, क्योंकि वे हनुमान जी के प्रतिरूप हैं. जब वे तृप्त हो जाते हैं, तभी लोगों की पंगत शुरू होती है." इस अनोखे आयोजन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और लोगों में इस परंपरा को लेकर खासा उत्साह और सम्मान देखा जा रहा है.

(धनंजय साबले की रिपोर्ट)

 

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