छठ महापर्व: आज नहाय-खाय! पूजा विधि से लेकर सामग्री तक, जानें सब कुछ

हिंदू समाज में छठ को महापर्व माना गया है. चार दिन तक चलने वाले इस पर्व के पहले दिन नहाय-खाय होता है. दूसरे दिन खरना होता है, और तीसरे और चौथे दिन सूर्य देवता को अर्घ दिया जाता है. छठ पर्व करनेवाले लोग निर्जला व्रत रखते हैं. ये पर्व कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए सूर्य की उपासना की जाती है.

छठ पूजा में साफ-सफाई का खास ख्याल रखना होता है
शताक्षी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST
  • छठ पूजा में साफ-सफाई का खास ख्याल रखना होता है
  • स्वच्छता और सात्विकता का पालन करना न भूलें

आज यानि 8 नवंबर से छठ महापर्व की शुरुआत हो रही है. छठ के पर्व को चार दिन तक मनाया जाता है. छठ पर्व के पहले दिन यानि आज नहाय-खाय के साथ व्रती आस्था के महापर्व छठ की शुरूआत करेंगी, कल यानि दूसरे दिन खरना की पूजा होगी. तीसरे दिन यानि 10 नवंबर की शाम को डूबते सूर्य अर्घ्य को दिया जाएगा और चौथे दिन 11 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन हो जाएगा.

छठ पर्व करनेवाले लोग निर्जला व्रत रखते हैं, ऐसा माना जाता है कि संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए सूर्य की उपासना की जाती है. छठ पर्व के दौरान साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है. कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को मनाया जाता है.

क्या है नहाय-खाय?
नहाय-खाय के दिन महिलाएं सुबह स्नान कर नई साड़ी या अन्य कोई वस्त्र पहनती हैं. इसके महिलाएं माथे पर सिंदूर लगाकर साफ सफाई करती है, क्योंकि इस वर्त में स्वच्छता का काफी महत्व है. उसके बाद मिट्टी लेपकर चूल्हा बनाया जाता है, जिस पर व्रत का प्रसाद और पकवान बनाए जााते हैं. अगर आपके पास गैस-चूल्हा है तो, उसे अच्छे से साफ करके इस्तेमाल कर सकते हैं. इस कठिन व्रत की शुरआत में आज पहले दिन आखिरी बार नमक खाया जाता है. आज के दिन चावल, भात, और सेंधा नमक से कद्दू या लौकी की सब्जी बनेगी. और घर के सभी लोग यही खाना खाएंगे. छठ का मुख्य प्रसाद ठेकुआ भी आज ही बनाया जाएगा.

क्या है खरना?
छठ के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. इस दिन महिलाएं को पूरे दिन का व्रत रखना होता है. शाम को व्रत करने वाली महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं. सूर्य देव की पूजा करने के बाद महिलाएं इसी प्रसाद को ग्रहण करती हैं. इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है.

क्या होता है व्रत के तीसरे और चौथे दिन?
छठ व्रत के तीसरे दिन महिलाएं सूर्य देव की पूजा करती हैं. इस दिन महिलाएं तालाब या नदीं में खड़े रहकर भगवान सूर्य को अर्घय देती हैं. व्रत के चौथे दिन सूर्य देव को जल देकर महिलाएं छठ का समापन करती हैं. इस दिन महिलायें सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं. इसके बाद उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है.

पूजा सामग्री
इस पूजा व्रत में कई सामग्रीयों की जरूरत पड़ती है. जिसमें धोती, बांस की दो बड़ी टोकरी, बांस का सूप, गिलास, लोटा, थाली, दूध, गंगाजल, एक दर्जन मिट्टी के दीपक, धूपबत्‍ती, कुमकुम, बत्‍ती, पारंपरिक सिंदूर और चौकी शामिल हैं. इसके अलावा खाद्य सामग्री में एक नारियल, 5 गन्‍ना, चावल, केले के पत्‍ते, केला, सेव, सिंघाड़ा, हल्‍दी, मूली, अदरक का पौधा, शकरकंदी, सुथनी, पान-सुपारी, शहद, मिठाई, गुड़, गेहूं और चावल का आटा शामिल है.

क्या हैं व्रत की सावधानियां?
इस व्रत में एक बात का खास ख्याल रखा जाता है कि, ये व्रत अत्यंत सफाई और सात्विकता का है. इसमें विशेष रूप से सफाई का ख्याल रखना चाहिए. घर में अगर एक भी व्यक्ति छठ का उपवास रखता है तो बाकी सभी को भी सात्विकता और स्वच्छता का पालन करना चाहिए. व्रत रखने के पूर्व अपने स्वास्थ्य की स्थितियों की जांच जरूर करा लें.

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