भारतीय संस्कृति में 64 करोड़ देवी-देवताओं की मान्यता है. भारत अपने प्राचीन मंदिरों के लिए काफी प्रसिद्ध है. भारत भर में आपको अलग-अलग देवी-देवताओं के मंदिर देखने को मिल जाएंगे. यहां हर मंदिर की अलग मान्यता और संस्कृति है. हालांकि भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपने रहस्य के कारण जाने जाते हैं. दरअसल ऐसे कई मंदिर हैं जो अपरम्परागत देवी-देवताओं के कारण, भूत-प्रेत संस्कार के कारण या हजारों सालों पुराने होने के लिए जाने जाते हैं.
गुजरात का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर
भगवान शिव के कई प्राचीन प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है गुजरात में मौजूद स्तंभेश्वर महादेव मंदिर. सबसे पुराने मंदिरों में से एक होने के अलावा, स्तंभेश्वर महादेव मंदिर दिन में दो बार लुप्त होने और फिर से प्रकट होने के लिए जाना जाता है. माना जाता है कि गुजरात के जंबूसर में कवि कंबोई गांव में स्थित, स्तंभेश्वर महादेव लिंग को तारकासुर नामक राक्षस को खत्म करने के बाद भगवान कार्तिकेय ने देवताओं के साथ मिलकर स्थापित किया था.
यह मंदिर समुद्र के किनारे से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित है. इसलिए, हाई टाइड के दौरान, यह जलमग्न हो जाता है और लो टाइड में फिर से प्रकट हो जाता है. चूंकि समुद्र का स्तर दिन में दो बार बढ़ जाता है, तब ये मंदिर गायब हो जाता है और पानी घटने पर उभर आता है. गर्भगृह या गर्भगृह पूरी तरह से समुद्र के पानी से आच्छादित हो जाता है. मंदिर की संरचना का केवल शिखर पानी के ऊपर बना हुआ है.
आंध्र प्रदेश का वेंकटेश्वर मंदिर
श्री वेंकटेश्वर स्वामी वारी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुपति के शहर तिरुमाला में स्थित एक हिंदू मंदिर है. ये मंदिर विष्णु के एक रूप वेंकटेश्वर को समर्पित है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे कलियुग के परीक्षणों और परेशानियों से मानव जाति को बचाने के लिए यहां प्रकट हुए थे. इस मंदिर में बाल मुंडवाने की परंपरा है. इस रीति को यहां पर मोक्कू कहा जाता है. यहां पर हर रोज करीब एक टन से अधिक बाल इकट्ठा होते हैं. जिसके बाद उन बालों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बेचा जाता है. जिससे इन मंदिर को काफी फायदा होता है.
पुष्कर राजस्थान का ब्रह्मा मंदिर
राजस्थान के पुष्कर में मौजूद ब्रह्मा मंदिर भी भारत के रहस्यमयी मंदिरों में से एक है. ऐसा माना जाता था, कि पुष्कर में मौजूद ये मंदिर भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है. हालांकि अब ये इकलौता नहीं रहा. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को ब्रह्मा के यज्ञ के बाद ऋषि विश्वामित्र ने बनाया था. यह भी माना जाता है कि ब्रह्मा ने स्वयं अपने मंदिर के लिए स्थान चुना था. 8वीं शताब्दी के हिंदू दार्शनिक आदि शंकर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया, जबकि वर्तमान मध्ययुगीन संरचना रतलाम के महाराजा जवत राज की है, उन्होंने इसके अतिरिक्त और मरम्मत की थी, हालांकि मूल मंदिर डिजाइन को बरकरार रखा गया है.
गुवाहटी का कामाख्या देवी मंदिर
गुवाहटी का कामाख्या देवी मंदिर भारत में मौजूद 51 शक्तिपीठों में एक है. ये मंदिर असम में गुवाहाटी शहर के पश्चिमी भाग में नीलाचल पहाड़ी पर स्थित है. इस मंदिर को अपने काले जादू के अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है. दरअसल ये मंदिर हर साल मानसून में देवी के मासिक धर्म के दौरान तीन दिन के लिए बंद हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि गर्भगृह से बहने वाला झरना तीन दिनों के लिए लाल हो जाता है.
राजस्थान का करणी माता मंदिर
करणी माता मंदिर भारत के राजस्थान में बीकानेर से 30 किमी दूर देशनोक में करणी माता को समर्पित एक हिंदू मंदिर है. इसे चूहों का मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर लगभग 25,000 काले चूहों के लिए प्रसिद्ध है, जो मंदिर में ही रहते हैं, और पूजनीय हैं. इन पवित्र चूहों को चरणों का पूर्वज माना जाता है और कब्बा कहा जाता है, और कई लोग इन चूहों की पूजा करने के लिए बहुत दूर की यात्रा करके इनके दर्शन करने आते हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां पर मौजूद कोई चूहा अगर मर जाता है तो उसकी जगह एक सोने का चूहा रखा जाता है.
आंध्र प्रदेश का वीरभद्र मंदिर
वीरभद्र मंदिर भी काफी रहस्यमयी माना जाता है. इस मंदिर में 70 स्तम्भ मौजूद हैं, जिसमें में एक स्तम्भ केवल इसकी छत को छूता है, लेकिन जमीन से उठा रहता है. यहां पर आने वाले पर्यटक अक्सर इस स्तंभ के नीचे कपड़ा रख कर तस्वीरें खिंचवाते हैं.