इकलौता सूर्य मंदिर जहां भगवान सूर्य की सपरिवार प्रतिमा है स्थापित, जानें क्या है खास?

गया में स्थित 7 फिट की ये प्रतिमा अद्वितीय है. इस प्रतिमा में भगवान सूर्य के साथ-साथ उनका पूरा परिवार दिखाई देता है. जहां भगवान सूर्य के दोनों किनारे उनके पुत्र शनि और यम खड़े हैं, और बीच में उनकी पत्नी छाया की एक प्रतिमा स्थापित है. ये प्रतिमा शालीग्राम पत्थर से बनी है.

प्रतीकात्मक तस्वीर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:52 AM IST
  • इस मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है
  • इस मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है ये प्रतिमा शालिग्राम पत्थर से बनी है

देश भर में छठ पूजन शुरू हो रहा है. सोमवार को नहाय-खाय शुरू होने के साथ-साथ, महिलाएं तीन दिन तक पूजा करेंगी. बिहार में इस पर्व की कुछ ज्यादा ही मान्यता है. बिहार के गया शहर में एक ऐसा मंदिर है जहां छठ पूजा करने छठ व्रतियों की काफी भीड़ होती है. गया शहर के अन्तःसलिला फल्गु के किनारे पर स्थित ब्राह्मणी घाट में भगवान सूर्य की आदमकद प्रतिमा पूरे बिहार में इकलौती है. ये अद्वितीय प्रतिमा 7 फीट ऊंची है. इस प्रतिमा में भगवान सूर्य के साथ -साथ उनका पूरा परिवार दिखाई देता है. जहां भगवान सूर्य के दोनों किनारे उनके पुत्र शनि और यम खड़े हैं, और बीच में उनकी पत्नी छाया की एक प्रतिमा स्थापित है. 

प्राचीन है इस मंदिर का इतिहास
सूर्य मंदिर का इतिहास भी काफी प्राचीन रहा है. दरअसल भगवान सूर्य की ये प्रतिमा 4 हजार साल पुरानी बताई जाती है. इसका उल्लेख विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में मिलता है. ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान सूर्य की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि ब्रह्मा जी ने भगवान सूर्य की उपासना के लिए फल्गु नदी के किनारे 7 फीट ऊंची 2 फीट 6 इंच चौड़ी प्रतिमा स्थापित की थी. छठ पर्व में यहां छठ व्रतियों की काफी भीड़ होती है.

7 फिट ऊंची है ये प्रतिमा

शालिग्राम पत्थर से बनी है प्रतिमा
इस मन्दिर के पुजारी मनोज कुमार मिश्रा बताते हैं कि यह बहुत प्रचीन प्रतिमा है. इसके मंदिर का वर्णन शास्त्रों में भी किया गया है. ये प्रतिमा शालीग्राम पत्थर से बनी है, और इसकी उंचाई लगभग 7 फिट है. इस तरह की प्रतिमा पुरे भारतवर्ष में बहुत कम देखने को मिलती है इस प्रतिमा में भगवान सूर्य अपने परिवार और सारथी के साथ सात घोड़ों वाले रथ पर सवार हैं. हालांकि पंडित जी का कहना है कि इस मंदिर के बारे में केवल स्थानीय लोग ही जानते है, बाहर के लोग इस मंदिर के बारे में नहीं जानते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही है.

औरंगाबाद जिले में भी हैं सूर्य मंदिर
बिहार के औरंगाबाद जिले में भी एक सूर्य मंदिर है, जिसका इतिहास काफी पुराना है. गया कि प्रतिमा कि तरह ही ये मूर्ति भी अपने आप में अनूठी है. देशभर में ये एकमात्र सूर्य मंदिर है जो पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है. मंदिर के गर्भ गृह में भगवान सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु और शंकर के रूप में विराजमान हैं. गर्भगृह के मुख्य द्वार पर बाईं ओर भगवान सूर्य की प्रतिमा है और दायीं ओर भगवान शंकर के गोद में बैठी प्रतिमा है.

आज से शुरू हो रही छठ पूजा
उत्तर और पूर्वी भारत में आज से भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व छठ शुरू हो रहा है. यह त्योहार 4 दिन तक चलेगा. छठ व्रत करनेवाले लोग आज नहाय-खाय के साथ इसकी शुरूआत करेंगे. वहीं कल खरना की पूजा होगी.10 नवंबर की शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और 11 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा व्रत. छठ पूजा के लिए बिहार में नदियों और तालाबों के घाटों की सफाई की जा रही है. साथ ही वहां कोरोना प्रोटोकॉल का पालन भी किया जाएगा. कई जगहों पर टीका लगवा चुके लोगों को ही घाटों पर जाने की इजाजत है.

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