अमरनाथ यात्रा भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा में से एक है. ये धार्मिक यात्रा सदियों से चली आ रही है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस यात्रा को करते है. अमरनाथ यात्रा हर साल गर्मियों में होती है. इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है.
अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए सरकार ने रजिस्ट्रेशन खोल दिया है. इस बार अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से 09 अगस्त के बीच होगी. हर साल लाखों श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा को करते हैं. बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त उमड़ते हैं.
इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए सरकार और प्रशासन ने कमर कस ली है. अमरनाथ यात्रा पौराणिक और धार्मिक रूप के काफी महत्व रखती है. भगवान शिव से जुड़े होने की वजह से इस जगह की खास मान्यता है.
कैसे करें रजिस्ट्रेशन?
अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से कर सकते हैं. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के लिए अमरनाथ यात्रा की आधिकारिक वेबसाइट www.jksasb.nic.in पर जाएं. वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन फॉर्म को भरें. इसमें आपको सभी जानकारी भरनी होगी. साथ ही मेडिकल सर्टिफिकेट भी लगाना होगा. अमरनाथ यात्रा के रजिस्ट्रेशन के लिए 150 रुपए फीस देनी होगी. इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद अमरनाथ यात्रा पर जाने का परमिट मिलेगा.
ऑफलाइन प्रक्रिया से भी अमरनाथ यात्रा का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. पंजाब नेशनल बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत कई सारे बैंकों में यात्रा का रजिस्ट्रेशन फॉर्म मिल जाएगा. फॉर्म को भरने के बाद मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ जमा करें. फॉर्म जमा करने के बाद आपको अमरनाथ यात्रा का परमिट मिल जाएगा.
अमरनाथ यात्रा का पौराणिक महत्व
अमरनाथ यात्रा भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह यात्रा भगवान शिव और देवी पार्वती की अमर कथा से जुड़ी हुई है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमर कथा सुनाने के लिए इस यात्रा के विभिन्न पड़ावों पर अपने वाहन और अन्य तत्वों को छोड़ा था.
पहलगाम से शुरू
अमरनाथ यात्रा पहलगाम से शुरू होती है. पहलगाम जम्मू से 315 किलोमीटर और श्रीनगर से 96 किलोमीटर दूर है. पहलगाम से पवित्र गुफा करीब 46 किलोमीटर दूर है. पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने अपनी सवारी नंदी को पहलगाम में छोड़ा था.
एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव के अमरत्व को जानने की इच्छा प्रकट की. तब भगवान शिव ने कहा कि इसको जानने के लिए आपको अमर कथा सुनानी पड़ेगी. अमरकथा सुनाने के लिए एक निर्जन स्थान पर चलना पड़ेगा. भगवान शिव माता पार्वती को लेकर ऐसी जगह की तलाश में आगे बढ़े तो पहलगाम में अपनी सवारी नंदी को उन्होंने छोड़ दिया और एकांत के तलाश में आगे बढ़ गए.
चंदनवाड़ी और शेषनाग
पहलगाम से 16 किलोमीटर दूर चंदनवाड़ी है. जहां भगवान शिव ने अपनी जटा से चंद्रमा को अलग किया था जिस वजह से इस जगह का नाम चंदनवाड़ी पड़ गया. चंदनवाड़ी के बाद अगले पड़ाव पिस्सू टॉप तक चढ़ाई और मुश्किल हो जाती है. मान्यता है कि भोलेनाथ के पहले दर्शन को लेकर यहीं पर देवासुर संग्राम हुआ था. तब भगवान शिव के आशीर्वाद से देवताओं को जीत मिली थी. उस युद्ध में इतनी बड़ी संख्या में असुर मारे गए थे कि उनके शवों के अंबार से ये पूरा पर्वत खड़ा हो गया था.
पिस्सू टॉप के बाद शेषनाग आता है. भगवान शिव ने अपने गले के हार शेषनाग को यहां छोड़ा था. उसका कारण था कि जब माता पार्वती तो अमरकथा सुनाएं तो कोई और ना सुन सके. जिस स्थान पर उन्होंने शेषनाग को छोड़ा था. वो स्थान आज शेषनाग के नाम से जाना जाता है. उस जगह पर शेषनाग ने एक बड़ी झील की निर्माण कराया. ये झील नागों को समर्पित हैं.
महागुण पर्वत
शेषनाग से लगभग साढ़े चार किलोमीटर आगे महागुण पर्वत है. इस जगह पर भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को ठहरने के लिए कहा था. यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है. महागुण पर्वत से छह किलोमीटर आगे पंचतरणी है. यहां भगवान शिव ने पंच महाभूतों को खुद से अलग किया था. यह स्थान पांच नदियों का संगम है.
अमरनाथ गुफा तक पहुंचने का दूसरा रास्ता बालटाल का है. यह रास्ता छोटा है लेकिन काफी कठिन है. बालटाल के रास्ते यात्रा सिर्फ 1 दिन में पूरी हो जाती है. काफी श्रद्धालु इस यात्रा को भी करते हैं. जिन श्रद्धालुओं के पास कम समय होता है वो इस रास्ते से बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं.
बाबा बर्फानी
अमरनाथ गुफा में हर साल बाबा बर्फानी के दर्शन होते हैं. यहां शिवलिंग का आकार हर बार अलग होता है. मान्यता है कि जिसने एक बार इस शिवलिंग के दर्शन कर लिए उसकी हर कामना पूरी हो जाती है. इस बार अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है. अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं. अमरनाथ यात्रा के लिए सरकार ने तैयारी कर ली है.