Ram Navami 2024: रामनवमी के लिए तैयार अयोध्या, जन्मोत्सव पर खास पोशाक पहनेंगे रामलला, बनेगा विशेष प्रसाद और होगा सूर्याभिषेक

इस साल 17 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी. आपको बता दें कि रामनवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था और उनका जन्मोत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन इस बार सदियों के बाद रामलला का जन्मदिन उनके अपने घर अयोध्या के राम मंदिर में मनाया जा रहा है.

Ramlala
बनबीर सिंह
  • अयोध्या,
  • 11 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 7:38 AM IST

एक लंबे अरसे के बाद, रामलला का जन्मदिन उनकी अपनी जन्मभूमि पर मनाया जाएगा. अपने घर में रामलला जन्मदिन पर बधाई गीत सुनेंगे और सूर्य की किरणें उनका अभिषेक करेंगी... जरा सोचिए कितना भव्य होगा यह दृश्य. जी हां, इस बार रामनवमी के लिए राम मंदिर में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं. राम मंदिर बनने के बाद यह पहली रामनवमी है तो तैयारियां भी बहुत खास हैं. 

रामलला पहनेंगे खास पोशाक 
अपने जन्मदिन पर रामलला चांदी और सोने के तारों से बुने विशेष डिजाइनर वस्त्र पहनेंगे. इन पोशाक को दिल्ली से विमान के जरिए लाया जाएगा. इसी तरह उनके श्रृंगार और मंदिर को सजाने के लिए खास तरह के पुष्प दिल्ली और कर्नाटक से लाए जाएंगे. इन फूलों की खास बात यह है कि यह एक सप्ताह तक मुरझाते नहीं है. 

रामनवमी के दिन बधाई गीत गाए जाएंगे, वेदों और पुराणों का पाठ होगा, भोग के लिए 56 प्रकार के विशेष पकवान बनाए जाएंगे यानी हर्षोल्लास का वातावरण होगा. आपको बता दें कि रामनवमी से दो दिन पहले ही जन्मोत्सव शुरू हो जाएगा. श्री राम जन्मभूमि मंदिर ही नहीं बल्कि पूरी अयोध्या रामलला के जन्मदिन पर सजधज कर उनका अभिनंदन 

सूर्यदेव करेंगे रामलला का अभिषेक 
रामनवमी के दिन सबसे खास बात यह होगी कि उस दिन सूर्य भगवान राम जी का 12:00 बजे सूर्याभिषेक करेंगे. यह अद्भुत और अलौकिक दृश्य होगा. फूलों से पूरा मंदिर सजाया जा रहा है. अयोध्या पूरी सजकर तैयार हो जाएगी. राम भक्त 12:00 बजे गर्भगृह का पर्दा हटने के बाद रामलला के दर्शन करेंगे. और इसी समय सूर्य की किरणें रामलला के ललाट पर पड़ेंगी और खुद सूर्य देवता उनका अभिषेक करेंगे.

लेकिन हम आपको बताते हैं कि भगवान सूर्य से श्री राम का रिश्ता क्या है और सूर्य अभिषेक के मायने क्या है. गोस्वामी तुलसीदास ने इसका बड़ा मार्मिक वर्णन किया है. सूर्यवंश में श्री राम जब प्रकट हुए तब भगवान सूर्य ने कहा कि उनका मान बढ़ गया है और वे रामलला का जन्मोत्सव देख पाए. और अब ऐसा होने वाला है कि जब मध्याहन में रामलला की आरती हो रही होगी, तब उनके मस्तिष्क पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी. यह वैसा ही है जैसे किसी बालक के जन्मदिन पर उसके पूर्वज, घर के बड़े लोग उसके सिर पर हाथ रखकर उसकी मंगल कामना करते हैं और आशीर्वाद देते हैं. 

 

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