Ayodhya Ram Mandir: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का आज तीसरा दिन, जानिए किस विधि-विधान से होंगे अनुष्ठान और क्या है इनका महत्व

रामलला की प्रतिमा का गर्भगृह में प्रवेश सबसे महत्वपूर्ण है पर उसके साथ पूजा की हर विधि का अलग अलग महत्व है. रामलला की पूजा का मुहूर्त निकालने वाले प्रख्यात ज्योतिष और आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड के निर्देश अनुसार आचार्य ये पूजा सम्पन्न कराएंगे.

The Ram Mandir pran pratishtha ceremony will take on January 22.
शिल्पी सेन
  • अयोध्या,
  • 18 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. रामलला की प्रतिमा का मंदिर में प्रवेश हो चुका है. प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान चल रहे हैं. और इस कार्यक्रम का आज तीसरा दिन है. ऐसे में आज राम जन्मभूमि मंदिर परिसर में बहुत महत्वपूर्ण अनुष्ठान होंगे. रामलला की प्रतिमा का गर्भगृह में प्रवेश सबसे महत्वपूर्ण है पर उसके साथ पूजा की हर विधि का अलग अलग महत्व है. रामलला की पूजा का मुहूर्त निकालने वाले प्रख्यात ज्योतिष और आचार्य गणेश्वर शास्त्री द्राविड के निर्देश अनुसार आचार्य ये पूजा सम्पन्न कराएंगे.

आज होगा वरुण पूजन 
गुरुवार दोपहर 1 बजकर 20 मिनट पर मुहूर्त में संकल्प लिया जाएगा उसके बाद सबसे पहले गौरी गणेश पूजा से ही हर पूजन अनुष्ठान की शुरुआत होती है. गणेश- अम्बिका पूजन होगा. कल ही कलश में भर कर सरयू का जल लाया गया था. कलश के साथ वरुण पूजन होगा. उसके बाद वेदों के पारायण होगा. चतुर्वेदो पुण्याह वाचन, मातृका पूजन, सप्तघृत मातृका पूजन, आयुष्यमंत्र जप होगा. किसी भी बड़े अनुष्ठान से पहले नांदीश्राद्ध का कर्म होता है वो भी आज होगा.

प्रतिमा को जल और सुगन्धी में अधिवास कराया जाएगा
इसके बाद आचार्यदिग्भ्रगवरण, मधुपर्क पूजन, मंडप प्रवेश, पृथ्वी-कूर्म-अनंत-वराह-यज्ञभूमि पूजन, दिग्रक्षण, पंच गव्य प्रोक्षण,मंडपांगवास्तु पूजन, वास्तु बलिदान, मंडप सूत्र वेष्टन, दुग्धधारा, जलधारा कण, षोडश स्तम्भ पूजन होगा. मंडप पूजन (तोरण, द्वार, ध्वज, आयुध, पताका, दिक्पाल, द्वारपाल आदि की पूजा), मूर्ति जलाधिवास, गंधाधिवास, सायंकालिक पूजन) और आरती होगी. प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पहले ही ये बताया जा चुका है कि श्रीराम की प्रतिमा को जलाधिवास, गंधाधिवास होगा. इस कर्म में प्रतिमा को जल और सुगन्धी में अधिवास कराया जाता है. अधिवास का अर्थ है निवास प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रतिमा को अलग-अलग सामग्रियों में रखना. इसके अंतर्गत आज रामलला की प्रतिमा को जल से भरे पात्र में शयन कराया जाएगा इसके बाद प्रतिमा का गंधाधिवास होगा, यानी उस पर सुगंधित द्रव्यों का लेप लगाया जाएगा.

नवनिर्मित प्रतिमा के अधिवास की प्रक्रिया
आपको बता दें कि अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हो चुका है. यह प्रक्रिया 21 जनवरी तक चलेगी. अनुष्ठान के चौथे दिन यानी 19 जनवरी को सुबह प्रतिमा का औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास कराया जाएगा. इसी दिन शाम को प्रतिमा का पुष्पाधिवास कराया जाएगा और फिर 21 जनवरी को सुबह मध्याधिवास और 21 जनवरी को सायंकाल में शय्याधिवास की प्रक्रिया होगी.

 

Read more!

RECOMMENDED