अयोध्या श्री राम के नाते जानी जाती है और उनके रामराज्य के रूप में पहचानी भी जाती है. हालांकि लंबे समय तक अयोध्या की पहचान विवादित स्थल के रूप में रही और विवाद की यह छाया अयोध्या की असली पहचान के ऊपर मंडराती रही. विवाद की छाया हटी तो अयोध्या अपनी पुरानी पहचान के साथ आगे बढ़ चली है और एक बार फिर अयोध्या में उसी राम राज्य के वापसी की झलक दिखाई देने लगी है.
राम को अपना आदर्श मानती हैं फरीजा
हम आपको मिलाते हैं कक्षा 11 की छात्रा फरीजा मंसूरी की जिसने राम की पैड़ी पर बैठकर दो चित्र बनाए हैं. एक चित्र में श्री राम धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाए खड़े हैं जबकि दूसरे चित्र में श्रीराम गिलहरी के साथ खड़े हैं. वही गिलहरी जिसने लंका में प्रवेश के पहले सेतु बनाने में अपना भी योगदान दिया था. फरीजा श्रीराम को अपना आदर्श मानती हैं और कहती हैं अब जब श्रीराम का मंदिर बन रहा है तो वो भी अपने आदर्श और उनके संदेशों की तस्वीर बना रही है. उसके पीछे की वजह यह है कि श्रीराम ने जाति और धर्म से ऊपर उठकर जो संदेश दिया था वह संदेश को लोगों तक पहुंचाया जाएं ताकि अयोध्या की पुरानी पहचान लौट सके.
अरुण योगीराज ने बनाई है रामलला की मूर्ति
अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. इस समारोह में एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु, लगभग 7,000 अतिथि और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे. राम मंदिर आंदोलन में सबसे आगे रहे भाजपा के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी भी 22 जनवरी को अयोध्या में मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे. 16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े अनुष्ठान शुरू हो चुके हैं जोकि 21 जनवरी तक चलेंगे. आज रामलला की मूर्ति का मंदिर परिसर में प्रवेश होना है. इस शुभ कार्य के लिए कई अनुष्ठान आज किए जाएंगे.
रामलला के लिए गर्भगृह को बेहद खूबसूरत अंदाज में सजाया गया है. राम मंदिर 23 जनवरी से दर्शन-पूजन के लिए भक्तों के लिए खुलेगा. रामलला की मूर्ति की निर्माण अरुण योगीराज ने किया है. वहीं आचार्य गणेश्वर शास्त्री ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाला है.