अयोध्या स्थित श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य जोरशोर से चल रहा है. इस तीन मंजिला राम मंदिर का निर्माण दिसंबर 2023 के अंत तक पूरा हो जाएगा. इसके बाद भगवान राम के भक्त अगले साल 26 जनवरी से पहले राम मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकेंगे. अयोध्या राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बुधवार को यह जानकारी दी.
भक्तों की संख्या में इजाफा होने पर कम हो जाएगा समय
नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि रामभक्त 26 जनवरी से पहले निश्चित रूप से भगवान राम के बाल रूप के दर्शन कर सकेंगे. उन्होंने कहा, मैं आपको सटीक तारीख नहीं बता पाऊंगा क्योंकि यह प्राण प्रतिष्ठा के आखिरी दिन पीएम मोदी की भागीदारी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से घोषित तारीख पर निर्भर करेगा, जो अभी तय नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि अनुमान है कि एक मिनट तक भक्त भगवान के सामने खड़े रहकर उनकी पूजा-अर्चना कर सकेंगे. जब भक्तों की संख्या में इजाफा होगा, तो यह समय कम होकर 20 सेकेंड हो जाएगी.
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि हमारा वर्तमान अनुमान है कि लगभग 12 घंटे की अवधि में लगभग 70,000-75,000 भक्त रामलला के दर्शन के लिए जा सकेंगे. यदि मंदिर 12 घंटे के लिए खुला रहता है तो लगभग 75,000 लोग आसानी से दर्शन कर सकेंगे. यानी मोटे तौर पर एक भक्त भगवान के सामने लगभग एक मिनट तक खड़ा रह सकेगा. यदि 1.25 लाख की भीड़ होती है, जिसकी हम शुरुआती दिनों में उम्मीद कर रहे हैं तो दर्शन की अवधि घटाकर लगभग 20 सेकेंड कर दी जाएगी.
मंदिर दो भागों में होगा पूरा
नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि लोग जानना चाहते हैं कि मंदिर कब पूरा होगा, तो बता दे रहे हैं मंदिर दो भागों में पूरा होगा. पहला फेज 1 दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा. पहला भाग मंदिर का भूतल होगा जो लगभग 2.6 एकड़ भूमि का है. भूतल में पांच मंडप हैं, जो गर्भगृह से शुरू होते हैं, जहां भगवान की स्थापना की जाएगी.
वहां भूतल पर 160 स्तंभ हैं और प्रत्येक स्तंभ पर विभिन्न रूपों के 25 प्रतीकात्मक कार्य हुए हैं. निचले चबूतरे पर काम, जो राम कथा बताता है, जो पत्थर पर नक्काशी पर आधारित है, और यह वाल्मिकी रामायण से लिया गया है, उसका लगभग 50 फीसदी काम पूरा हो जाएगा.
अब तक 900 करोड़ रुपए हो चुके हैं खर्च
आर्किटेक्चर और कंस्ट्रक्शन मटैरियल पर बात करते हुए मिश्रा ने बताया कि मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है. इसकी बजाय पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे का इस्तेमाल हुआ है. राम मंदिर ढाई एकड़ में बना हुआ है. लेकिन अगर इसमें 'परिक्रमा पथ' भी जोड़ लिया जाए तो ये पूरा आठ एकड़ का हो जाता है.
मंदिर निर्माण में अब तक करीब 900 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. पूरा मंदिर परिसर बनने में 1,700 से 1,800 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. मंदिर के गर्भगृह में एक चबूतरा बनाया जाएगा. इसी चबूतरे पर रामलला की मूर्ति को स्थापित किया जाएगा. रामलला की ये मूर्ति 51 इंच की होगी.
ट्रस्ट में सरकार का पैसा नहीं
नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि पीएम मोदी स्वभाव से सभी परियोजनाओं की जिम्मेदारी उन लोगों को सौंपते हैं जिन्हें काम करना होता है. इसलिए इस मंदिर को ट्रस्ट को सौंपा गया था. ट्रस्ट का गठन इसी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत किया गया है. इस ट्रस्ट में कोई सरकार नहीं है. इस ट्रस्ट में कोई सरकारी पैसा नहीं है. इन 71 एकड़ के क्षेत्र में यूपी सरकार या केंद्र सरकार के खजाने से एक पाई भी खर्च नहीं की जाएगी.
यह सब जनता से आ रहा है. यह सब उन लाखों लोगों की ओर से है, जिन्होंने इस मंदिर के लिए दान के रूप में भाग लिया और धन का योगदान दिया. प्रधानमंत्री प्रगति जानने में रुचि रखते हैं और वह यह जानने के लिए बेहद सचेत हैं कि क्या मंदिर के निर्माण में कोई समस्या तो नहीं है. जैसा कि जहां तक काम की बात है तो यह काम ट्रस्ट को ही दिया गया है और ट्रस्ट ही यह काम कर रहा है.
हर रामनवमी सूर्य भगवान कराएंगे रामलला को किरणों का स्नान
नृपेंद्र मिश्रा ने अयोध्या में तैयार हो रहे भव्य श्रीराम मंदिर को लेकर एक बड़ा अनोखा खुलासा किया है. उनका कहना है कि राम मंदिर का निर्माण इस खास तकनीक से हो रहा है कि हर साल रामनवमी के दिन ठीक दोपहर बारह बजे सूर्य की किरणें भगवान श्रीराम की मूर्ति पर पड़ेंगी. इस खास नजारे को देखने के लिए रामभक्तों में काफी उत्साह है.
तैयार हो रहा खास सिस्टम
सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की और पुणे के एक एस्ट्रोनॉमिकल संस्थान ने मिलकर कम्प्यूटरीकृत सिस्टम बनाया है. इस सिस्टम में एक छोटा सा उपकरण है, जो मंदिर के शिखर में लगाया जाएगा. सूर्य की किरणें इस उपकरण के माध्यम से आएंगी और फिर रिफ्लेक्ट होकर भगवान श्रीराम के ललाट पर पहुंचेंगी. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि मंदिर के गर्भ गृह में दो मूर्तियां स्थापित होंगी, एक श्रीराम की बाल्यावस्था की और दूसरी रामलला की मूर्तियां होगी.
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