अयोध्या के राम मंदिर में रामलला विराजमान हो गए हैं. मंदिर में पूरे विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की गई. इस दौरान अयोध्या को भव्य तरीके से सजाया गया. इस समारोह में बॉलीवुड सितारों से लेकर कई राजनीतिक हस्तियां मौजूद रहीं. राम मंदिर का डिजाइन पारंपरिक नागर वास्तुकला शैली से प्रभावित है. मंदिर को पूरी तरह से पत्थरों से बनाया गया है. इसमें लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है. रामनगरी का ये मंदिर एक हजार साल तक मजबूती से खड़ा रहेगा. ये भूकंप के जोरदार झटकों और भीषण बाढ़ का भी सामना कर सकता है. चलिए आपको भव्य मंदिर के बारे में बताते हैं.
- अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है.
- मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है.
- मंदिर में कुल 392 खंभे और 33 दरवाजे होंगे. राम मंदिर तीन मंजिला होगा. इसमें हर मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी.
- मंदिर के मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा.
- राम मंदिर में 5 मंडप होंगे. इसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप शामिल हैं.
- मंदिर में खंभों और दीवारों पर देवी-देवता और देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं.
- अयोध्या के श्रीराम मंदिर में पूर्व दिशा से प्रवेश होगा. 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से प्रवेश होगा.
- राम मंदिर में दिव्यांगजन और बुजुर्गों के लिए रैम्प और लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी.
- मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा है. चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट होगी.
- परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर होगा.
- राम मंदिर के पास पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा.
- मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या के मंदिर भी प्रस्तावित हैं.
- दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है और वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है.
- राम मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा. धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है.
- मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है. इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है.
- मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है.
- मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था और स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे.
- 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी.
- मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी.
- मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार और स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा.
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