Basant Panchami 2022: जानें कब पड़ रही है बसंत पंचमी, क्या है मां सरस्वती की कथा

माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती पृथ्वी पर अवतरित हुईं थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है. सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की. सृष्टि को भरने के लिए ब्रह्म ने वृक्ष, जंगल, पहाड़, नदी और जीव जन्तु सभी की सृष्टि की. इतना सबकुछ रचने के बाद भी ब्रह्मा जी को कुछ कमी नजर आ रही थी, वे समझ नहीं पा रहे थे कि वे क्या करें.

Basant Panchami 2022
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:09 AM IST
  • सुबह 7:19 मिनट से पूजा का शुभ मुहूर्त 
  • सरस्वती पूजा के पीछे है एक रोचक कथा

हिंदुओं के लिए बसंत पंचमी का खास महत्व है. इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म के मुताबिक मां सरस्वती को ज्ञान की देवी है. माना जाता है कि इसी दिन से बंसत ऋतु का आरंभ होता है. सभी ऋतुओं में बसंत को सबसे खूबसूरत ऋतु माना गया है. इस दिन बसंत ऋतु का आरंभ होता है, इस दिन से पेड़, पौधे नई रंगत में लौटते हैं, बागों में फूल खिलने लगते हैं. इस बार बसंत पंचमी शनिवार के दिन है. पंचांग के मुताबिक  इस दिन कई शुभ संयोग बनने वाले हैं. 

सुबह 7:19 मिनट से पूजा का शुभ मुहूर्त 

बसंत पंचमी की तिथि की शुरुआत 5 फरवरी यानी  शनिवार को सुबह 3:48 बजे से होगी और यह 6 फरवरी यानी रविवार को सुबह 3:46 बजे खत्म होगी. वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:19 मिनट से दोपहर 12:35 मिनट तक रहेगा. इस दिन सिद्ध योग शाम 5 बजकर 40 मिनट तक बना हुआ है. पंचांग के अनुसार इस दिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र रहेगा. इस दिन पीले रंग पहनने का खास महत्व है. इस दिन लोग  पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले फूलों से मां सरस्वती की पूजा की जाती है. इसके साथ ही उन्हें पीले वस्त्र भी भेंट किए जाते हैं.

सरस्वती पूजा के पीछे है एक रोचक कथा

माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती पृथ्वी पर अवतरित हुईं थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है. सृष्टि के प्रारंभ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने मनुष्य की रचना की. सृष्टि को भरने के लिए ब्रह्म ने वृक्ष, जंगल, पहाड़, नदी और जीव जन्तु सभी की सृष्टि की. इतना सबकुछ रचने के बाद भी ब्रह्मा जी को कुछ कमी नजर आ रही थी, वे समझ नहीं पा रहे थे कि वे क्या करें. यह देखकर ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल छिड़का. उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जिनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी. इसके अलावा उनके तीसरे हाथ में माला और चौथा हाथ वरद मुद्रा में था.. इस देवी को ही मां सरस्वती का कहा गया. मां सरस्वती ने जैसे ही अपनी वीणा के तारों को अंगुलियों से स्पर्श किया उसमें से ऐसे स्वर पैदा हुए कि सृष्टि की सभी चीजों में स्वर और लय आ गई. वो दिन बंसत पंचमी का था. तभी से बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाने लगी.


 

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