Shani Amavasya 2022: शनि अमावस्या पर इस बार बन रहा दुर्लभ संयोग...साढ़ेसाती और ढैया वालों के लिए विशेष महत्व, बस करें ये उपाय

इस बार की अमावस्या शनि अनावस्या की वजह से और भी खास हो गई है. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या को दूर करने के लिए भी इस दिन का विशेष महत्व है. कुछ विशेष उपाय करने से आपको कई सारी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है.

Shani Amavasya
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 12:30 PM IST
  • शनि की साढ़ेसाती होगी दूर
  • पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए

हिंदू धर्म में हर तिथि का अलग-अलग महत्व है. इसी के अनुसार हर तिथि के अलग गुरू भी हैं. वहीं इस साल भाद्रपद (Bhadrapada Amavasya) में पड़ने वाली अमावस्या काफी खास है क्योंकि इस बार ये शनिवार के दिन पड़ रही है. इस अमावस्या को कुशग्रहणी भी कहा जाता है. इस दिन स्नान करके दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन शनिवार पड़ने के कारण शनि दोष, शनि की साढ़े साती और ढैय्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है.

क्या बन रहा विशेष योग?
भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 26 अगस्त, शुक्रवार की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से शुरू होगी और 27 अगस्त, शनिवार की दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. चूंकि अमावस्या तिथि का सूर्योदय (उदया तिथि) 27 अगस्त को होगा इसलिए इसी दिन ये तिथि मानी जाएगी. इसके अलावा इस दिन पद्म और शिव नाम के दो शुभ योग भी बन रहे हैं.

शनि की साढ़ेसाती होगी दूर
इस दिन पूर्वजों के लिए दान करने की विशेष परंपरा है. कहा जाता है कि श्राद्ध और तर्पण से उन्हें शांति मिलती है. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है वो इसके लिए खास उपाय कर सकते हैं. इस बार की अमावस्या शनि अनावस्या की वजह से और भी खास हो गई है. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या को दूर करने के लिए भी इस दिन उपाय करना लाभकारी होता है. शनिदेव के प्रसन्न होने से जीवन की मुश्किलें दूर होती हैं.

क्या करें उपाय?
शनि की साढ़ेसाती और ढैया को दूर करने के लिए शनि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. इसके अलावा इस दिन पीपल पर दूध, जल और मिठाई चढ़ाने से भी लाभ मिलता है. इस दिन पितरों को प्रसन्न करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं. शनि की साढ़ेसाती से परेशान लोगों को शनिवार और अमावस्या के योग में शनि देव की पूजा जरूर करनी चाहिए. सबसे अच्छा होगा अगर आप इस दिन शनि देव के मंत्र शं शनैश्चराय नम: का जप करें और शनि देव के लिए तेल का दान करें.

क्यों कहते हैं कुश ग्रहणी अमावस्या?
कुश का अर्थ होता है घास. इस वजह से इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन को साल भर धार्मिक कार्यों के लिए कुश को इकट्ठा कर लिया जाता है.


 

 

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