Bhai Dooj 2022 Date and Shubh Muhurt: 26 या 27 अक्टूबर, भैया दूज कब है? नोट कर लें टीका लगाने का सबसे शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाई दूज पर्व को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे इसकी कामना करती हैं. हालांकि इस बार ग्रहण लगने से भैया दूज की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम है.

भाई दूज
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 6:46 AM IST
  • इस पर्व को भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना जाता है.
  • इस बार ग्रहण लगने से भैया दूज की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम है.

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाई दूज पर्व को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे इसकी कामना करती हैं. इस साल भाई दूज का पर्व बेहद शुभ संयोग में मनाया जाएगा, इस दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट भी है. हालांकि इस बार ग्रहण लगने से भैया दूज की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम है. सूर्य ग्रहण पड़ने से बहनों के सामने यह संशय उत्पन्न हो गया है कि आखिर वे भैया दूज कब मनाए, क्योंकि दीपावली के अगले दिन ही सूर्य ग्रहण पड़ गया और उसके अगले दिन अब अन्नकूट पूजा होनी है और उसके बाद भाई दूज मनाया जाना चाहिए.

भैया दूज के लिए शुभ मुहूर्त
भाई दूज कब मनाया जाए इसको लेकर अलग-अलग विचार हैं मगर पंडित प्रतीक मिश्र पुरी का कहना है कि भाई दूज 26 अक्टूबर को 3 बजे के बाद से लेकर 27 अक्टूबर को एक बजे तक मनाई जा सकती है, जो बहनें और भाई 3 बजे तक व्रत रख सकते हैं वे 26 अक्टूबर को ही भैया दूज मना सकते हैं और अगर वे 27 अक्टूबर को भाईदूज मनाना चाहते हैं तो 27 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे तक मना सकते हैं. जो बहनें टीका करना चाहती हैं और 3 बजे तक उपवास कर सकती हैं वे 26 अक्टूबर को ही भैया दूज मना सकती हैं. नहीं तो आप बृहस्पतिवार को सुबह से लेकर एक बजे तक भैया दूज मना सकती हैं. भाई दूज के दिन तिलक का मुहूर्त दोपहर 1:12 से दोपहर 3:27 तक रहेगा.

भाई दूज अभिजीत मुहूर्त – 27 अक्टूबर 12:42 बजे – 12:57 बजे

तिलक करने की विधि
भाई के लिए पिसे हुए चावल से चौक बनाएं.
भाई के हाथों पर चावल का घोल लगाएं.
भाई को तिलक लगाएं.
तिलक लगाने के बाद भाई की आरती उतारें.
भाई के हाथ में कलावा बांधें.
भाई को मिठाई खिलाएं.

भैया दूज के लिए पूजा की प्रक्रिया

आज के दिन भाई प्रातःवकाल चन्द्रमा का दर्शन करे.
इसके बाद यमुना के जल से स्नान करें , या ताजे जल से स्नान करें.
अपनी बहन के घर जाएँ और वहां बहन के हाथों से बना हुआ भोजन ग्रहण करें.
बहनें भाई को भोजन कराएँ , उनका तिलक करके आरती करें.
भाई यथाशक्ति अपनी बहन को उपहार दें.

क्यों मनाते हैं भाई दूज

एक मान्यता के अनुसार यमराज की बहन यमुना चाहती थीं कि उनका भाई उनके घर आकर उनसे मिले, लेकिन यमराज उनसे मिलने घर नहीं आ पाते थे. एक बार जब यमराज उनसे मिलने गए, तो यमुना ने अपने भाई का टीका किया. उन्हें मीठा खिलाया और बहुत आदर सत्कार किया.इन सबसे यमराज खूब प्रसन्न हुए. यमराज ने यमुना से एक वरदान मांगने को कहा. इसपर यमुना ने कहा कि वो एक ऐसा दिन अपनी बहन को दे दें, जिस दिन वो हर साल उसके घर आया करेंगे. तब से ही भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई.

भाई दूज का महत्व

इस दिन, भगवान कृष्ण राक्षस नरकासुर को हराने के बाद अपनी बहन सुभद्रा के पास गए थे. सुभद्रा ने फूलों की माला से उनका स्वागत किया, उनके माथे पर टीका लगाया और एक आरती की, जिससे भाई दूज का त्योहार शुरू हुआ. तिलक विजय, पराक्रम और सम्मान का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि के लिए कामना करती हैं.

 

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