अनोखा है बिहार का ये मंदिर, जहां बीड़ी चढ़ाने पर पूरी होती है मनोकामना

ये मंदिर पहाड़ी पर स्थित है. गर्भगृह में मुसहरवा बाबा का मंदिर है. जिसमें उनकी प्रतिमा स्थापित है. बाबा की शरण में ज्यादातर लोग अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. लेकिन मंदिर में प्रवेश करने और बाबा के दर्शन के बाद उन्हें बीड़ी का बंडल खोलकर उसे सुलगाना पड़ता है और फिर चढ़ाना पड़ता है.

अनोखा है बिहार का ये मंदिर, जहां बीड़ी चढ़ाने पर पूरी होती है मनोकामना
gnttv.com
  • पटना,
  • 13 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:31 PM IST
  • बाबा को लगता है बीड़ी का भोग
  • बीड़ी का भोग उसके बाद आगे की यात्रा
  • वर्षों पुरानी है मान्यता

आज हम आपको बिहार में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां का चढ़ावा कुछ अलग तरीके का है. आपने अब तक मंदिरों में अगरबत्ती, फूल और जल चढ़ाने के बारे में सुना होगा. खासकर काल भैरव के मंदिर में शराब चढ़ाने की भी बात सामने आती है. कुछ लोग मंदिर में दूध, धी और दही भी चढ़ाते हैं. लेकिन इस मंदिर में आपको अपनी मनोकामना और इच्छा पूरी करने के लिए कुछ ऐसा चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है. जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. तो हम आपको बताते हैं उस मंदिर के बारे में. ये मंदिर बिहार के कैमूर जिले के पहाड़ी क्षेत्र के अघौरा पहाड़ चढ़ने से पहले खुटिया इलाके में आता है.

बाबा को लगता है बीड़ी का भोग
ये मंदिर पहाड़ी पर स्थित है. गर्भगृह में मुसहरवा बाबा का मंदिर है. जिसमें उनकी प्रतिमा स्थापित है. बाबा की शरण में ज्यादातर लोग अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. लेकिन मंदिर में प्रवेश करने और बाबा के दर्शन के बाद उन्हें बीड़ी का बंडल खोलकर उसे सुलगाना पड़ता है और फिर चढ़ाना पड़ता है. यहां पर बाबा को बीड़ी का भोग लगाने से वे  प्रसन्न होते हैं और भक्त की इच्छा को पूरी करते हैं. मान्यता ये है कि इधर से होकर गुजरने वाला कोई भी यात्री बिना बीड़ी का भोग लगाए नहीं आगे बढ़ सकता, वरना उसके साथ कुछ अनिष्ट हो सकता है.

बीड़ी का भोग उसके बाद आगे की यात्रा
मंदिर के पुजारी गोपाल बाबा बताते हैं कि कोई भी राहगीर या अघौरा जाने वाला यात्री इस रास्ते से होकर गुजरता है. उसे बीड़ी का भोग लगाना जरूरी होता है. कई ऐसे यात्री हैं जिन्होंने बाबा के मान्यता की अवहेलना कि और उनके साथ अनिष्ठ हो गया. कोई पहाड़ से फिसल गया और किसी को चोट लग गई. यदि पहाड़ी का सफर आसानी से तय करना है, तो आपके साथ यात्रा के लिए सावधानी की सामग्री के साथ एक बंडल बीड़ी लेकर आना होगा. उसके बाद ही आपकी यात्रा पूरी होगी.

वर्षों पुरानी है मान्यता
पुजारी गोपाल बाबा के मुताबिक मुसहरवा बाबा को वर्षों से बीड़ी का भोग लगता रहा है. जो यात्री या राहगीर भोग नहीं लगाते हैं वो दोबारा लौटकर आते हैं और भोग लगाकर जाते हैं. साथ ही बीड़ी का भोग लगाने के दौरान आपके मन के अंदर की कोई भी इच्छा आराम से  पूरी हो सकती है. इसलिए यहां आने वाले यात्री पहले से बीड़ी लेकर आते हैं. पहाड़ी इलाके में सुनसान जगह पर स्थित इस मंदिर में रोजाना यात्री पहुंचते हैं और बीड़ी का भोग लगाते हैं.

 

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