नवरात्रि के इन पावन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ परम फलदायी और परम शुभकारी है. दुर्गा सप्तशती एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें देवी दुर्गा की महिषासुर नामक राक्षस के ऊपर विजय का वर्णन किया गया है. कहते हैं कि दुर्गा सप्तशती के केवल 100 बार पाठ करने से सभी प्रकार की सिद्धियां पाई जा सकती हैं. माँ दुर्गा की आराधना के लिए तमाम मंत्रों, स्तोत्रों और साधना विधि का उल्लेख किया गया है . लेकिन सर्वाधिक मान्यता प्राप्त और अचूक स्तोत्र दुर्गा सप्तशती माना जाता है. मार्कंडेय ऋषि ने इसकी रचना की थी, इसका एक एक श्लोक एक महामंत्र है केवल उस मंत्र का पाठ करने से भी तमाम मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है.
दुर्गा सप्तशती के मंत्र जाप के नियम
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय को नवरात्रि में नियम के साथ अगर पढ़ें तो आपके जीवन में जितनी भी परेशानियां हों वो दूर हो सकती हैं. अपनी आवश्यकता अनुसार मंत्र का चुनाव करें. नवरात्रि में मंत्र जाप की शुरुआत करें. कम से कम रोज तीन माला मंत्र जाप करें और लगातार नौ दिनों तक मंत्र जाप करें. अगर रोज पाठ करते हैं तो एक , दो , एक , चार , दो , एक और दो अध्यायों का पाठ सात दिनों में करके सप्तशती को समाप्त कर लेना चाहिए. सप्तशती के पाठ के पहले उत्कीलन मंत्र का जरूर जाप करें. चाहें तो उत्कीलन मंत्र के बाद कवच ,अर्गला और कीलक का पाठ भी कर सकते हैं. सप्तशती का पूर्ण फल लेने के लिए लाल वस्त्र धारण करके इसका पाठ करें. इस दौरान सात्विक रहें, अगर उपवास रखें तो और भी उत्तम होगा. मंत्र जाप लाल चंदन या रुद्राक्ष की माला से करें.
दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें
सप्तशती का पाठ किसी भी समय में कर सकते हैं पर नवरात्रि में इसका पाठ करना सर्वोत्तम होता है. देवी के समक्ष घी का दीपक जलाएं उन्हें लाल पुष्प अर्पित करें इसके बाद नियम पूर्वक सप्तशती का पाठ करें. जितने दिन भी सप्तशती का पाठ करें उतने दिन सात्विकता बनाये रक्खें. नवरात्रि देवी की पूजा और शक्ति की आराधना का खास समय होता है और इन नौ दिनों की पूजा विधि में मंत्रों का खास महत्व होता है और इन मंत्रों में खास महत्व होता है.
अलग-अलग लाभ के लिए इन मंत्रों का करें जाप
दुर्गा सप्तशती में ऐसे तमाम मंत्र हैं जो अपने आप में संपूर्ण है. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के ये सिद्ध मंत्र आपकी परेशानियों को दूर कर सकते हैं. अगर आप बाधा मुक्ति एवं धन की प्राप्ति चाहते हैं तो सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय मंत्र का जाप करें. वहीं अगर ऐश्वर्य प्राप्ति एवं भय से मुक्ति चाहते हैं तो ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः. शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै मंत्र का जाप करें.