चैत्र नवरात्र में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं. हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र नवरात्रि से होता है. इस बार यह पर्व 2 अप्रैल से शुरू हो रहा है और 9 दिन के हिसाब से यह 11 अप्रैल तक चलेगा. 10 अप्रैल 2022 को राम नवमी मनाई जाएगी. नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा का विशेष योग होता है. नवरात्र के नौ दिनों तक अगर आप देवी मां की पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं तो आपको विशेष फल की प्राप्ति होती है. पूजा के साथ-साथ शुभ मुहूर्त भी जान लेना जरूरी है ताकि आपको पूजा का विशेष फल प्राप्त हो.
इस बार पूजा का विशेष योग
इस बार नवरात्र की शुरुआत में काफी अच्छा योग बन रहा है, जिससे माना जा रहा है कि देवी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी. इस बार नवरात्र पर सिद्धि योग के साथ अमृत योग भी है. ऐसी मान्यता है कि दोनों ही योग बेहद शुभ फलदायी होते हैं और इस शुभ योग में पूजा करने पर माता के भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त होता है.
सर्वार्थ सिद्धि योग
एक ओर नवरात्र की शुरुआत इस बार सवार्थ सिद्धी योग में हो रहा है को वहीं नवरात्र के 9 दिनों में से 6 दिन यह शुभ योग उपस्थित रहेगा. 2 अप्रैल के अलावा 3,5,6,9 और 10 अप्रैल को भी सवार्थ योग रहेगा. यह परमफलदायी योग है और इसमें व्रत रखने वाले व्रतियों को इसका विशेष फल प्राप्त होगा.
रवि योग
नवरात्र के बीच में यानी 4,6 और 10 अप्रैल को इस बार रवि योग है.रवि योग के कारण आपके कार्य बड़ी आसानी से हो जाते हैं और उसमें कोई बाधा नहीं आती. इस योग में अगर भक्त व्रत रखने के साथ आदित्य हृदय स्त्रोत का भी पाठ करता है तो उसे इसका शुभ फल प्राप्त होता है.
रविपुष्य योग
ज्योतिष के अनुसार, रविपुष्य योग पुष्य नक्षत्र और रविवार के शुभ संयोग से मिलकर बनता है.यह योग कोई भी नया काम करने जैसे वाहन खरीदना, जमीन खरीदना या फिर बिजनेस शुरू करने के लिए काफी शुभ माना जाता है. शुभ योग में आरंभ किया गया कोई भी कार्य शुभ फल की प्राप्ति करवाता है.
कलश स्थापना मुहूर्त
मीन लग्न (द्विस्वभाव लग्न)- सूर्योदय 5:51 बजे से सुबह 6:28 बजे तक.
अभिजित मुहूर्त- दिन में 11:36 बजे से 12:24 बजे तक.
मिथुन लग्न (द्विस्वभाव लग्न)- दिन में 10:03 बजे से 12:17 बजे तक.
कन्या लग्न (द्विस्वभाव लग्न)- सायं 4.48 बजे से 6.10 बजे तक.
केवल तीन दिन व्रत भी देगा पूरा फल
जो लोग पूरे नवरात्र व्रत नहीं कर सकते, वे अगर सप्तमी, अष्टमी और नवमी इन तीन तिथियों में उपवास करें, तो भी उनकी कामना सिद्ध होती है. उन्हें नवरात्र व्रत का पूरा फल मिलता है. वहीं अगर आप तीन दिन भी व्रत नहीं कर सकते तो नवरात्र के पहले दिन औऱ अष्टमी वाले दिन व्रत रखकर मां को प्रसन्न कर सकते हैं.
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