नवरात्रि के तीसरे दिन यानी 24 मार्च को मां चंद्रघंटा की उपासना होती है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. मां चंद्रघंटा को पापों की विनाशिनी कहा जाता है. देवी पुराण के मुताबिक देवी दुर्गा के तृतीय स्वरूप को चंद्रघंटा कहा जाता है. देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र होता है, इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा. मां चंद्रघंटा को शांति और कल्याण का प्रतीक माना जाता है. माता की पूजा से साहसी और पराक्रमी बनने का वरदान मिलता है. जातक को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है. चलिए आपको बताते हैं कि मां चंद्रघंटा की पूजा विधि और मंत्र क्या है.
तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त-
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. तृतीया तिथि आज शाम 4 बजकर 59 मिनट तक है. शुभ मुहूर्त सुबह 7.57 बजे तक है. जबकि अभिजित मुहूर्त दोपहर 12.03 बजे से 12.52 बजे तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6.21 बजे से दोपहर 1.22 बजे तक है. रवि योग 24 मार्च को दोपहर 1.22 बजे से 25 मार्च को सुबह 6.20 बजे तक है.
मां चंद्रघंटा का स्वरूप-
मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा का है. माता के 10 हाथों में कमल और कमंडल के अलावा दूसरे अस्त्र-शस्त्र हैं. माता के हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा और धनुष होता है. पुराणों के मुताबिक मां चंद्रघंटा ने राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था. मां चंद्रघंटा शेर की सवारी करती हैं. माथे पर अर्धचंद्र ही इनकी पहचान है.
मां चंद्रघंटा की पूजा-
मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय सुनहरे या पीले रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ माना जाता है. माता को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पित करना शुभ होता है. मान्यता है कि ऐसा करना से सभी मनोकामना पूरी होती है. मां चंद्रघंटा को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा पंचामृत, चीनी और मिश्री माता को अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से मंगल के अशुभ प्रभाव को खत्म किया जा सकता है. माता को लाल चंदन, चुनरी, लाल फूल और लाल फल भी अर्पित किया जाता है.
मां चंद्रघंटा के उपाय-
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है. एक छोटे लाल वस्त्र में लौंग, पान, सुपारी रखकर माता के चरणों में चढ़ाना चाहिए और 108 बार नवार्ण मंत्र का जाप करना चाहिए. अगले दिन ये लाल पोटली सुरक्षित जगह पर रख दें. इसका काफी महत्व है. इससे जातक को फायदा होता है. अगर जातक किसी शुभ काम के लिए जाता है तो उसे इस पोटली को साथ रखना चाहिए. इससे आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है और शत्रु पर जीत मिलती है.
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