क्या आपने कभी 'गणित चालीसा', 'किसान चालीसा' या 'सचिन तेंदुलकर चालीसा' के बारे में सुना है? आमतौर पर चालीसा शब्द सुनते ही हमारे मन में धार्मिक भक्ति गीत की छवि उभरती है, लेकिन मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में एक ऐसे शिक्षक हैं जो चालीसा को शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और प्रेरणा का माध्यम बना चुके हैं.
हम बात कर रहे हैं बड़ोद ब्लॉक के शिक्षक डॉ. दशरथ मसानिया की, जो अब बच्चों की जुबान पर 'चालीसा गुरु' के नाम से मशहूर हो चुके हैं. उन्होंने अब तक 500 से भी अधिक विषयों पर चालीसा लिखी है- जिनमें से 150 से अधिक चालीसा प्रकाशित भी हो चुकी हैं.
चालीसा के जरिए शिक्षा और समाज को जोड़ने की अनूठी पहल
डॉ. मसानिया का कहना है कि जब बच्चों को पढ़ाई में रुचि नहीं आती थी, तब उन्होंने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा लिखा जाए जिससे बच्चे न सिर्फ पढ़ाई में रुचि लें, बल्कि विषयों को याद भी रख सकें. तभी उनके मन में चालीसा लिखने का विचार आया.
उन्होंने न सिर्फ धार्मिक या आध्यात्मिक विषयों पर बल्कि शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, महापुरुषों, समाजिक विषयों, पर्यावरण और विज्ञान जैसे टॉपिक्स पर भी चालीसाएं लिखीं. इससे बच्चे चालीसा की लय में गुनगुनाते हुए कठिन विषयों को भी आसानी से याद करने लगे.
बच्चों के पसंदीदा बनते जा रहे हैं ‘चालीसा गुरु’
उनके पढ़ाने का तरीका भी बेहद रोचक है. कभी वह हाथों के इशारे से पढ़ाते हैं, तो कभी गाकर. बच्चों को यह तरीका इतना पसंद आता है कि वे विषयों को जल्दी समझ लेते हैं. इस नवाचार की वजह से अब वे पूरे क्षेत्र में लोकप्रिय हो चुके हैं.
डॉ. मसानिया को उनके इस अद्वितीय योगदान के लिए राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. साथ ही, उन्हें 'महाराष्ट्र बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में भी स्थान मिला है.
कितने विषयों पर लिखी गई हैं चालीसाएं?
1. शैक्षणिक विषयों पर- 43 चालीसा
हिंदी, पर्यायवाची, विलोम शब्द, कहावत/मुहावरे, व्याकरण, हिंदी कवि, अंग्रेजी, संस्कृत, योग, गणित, विज्ञान, भारत, मध्यप्रदेश, राजस्थान, जल, पर्यावरण, मोबाइल, पत्रिका, अखबार आदि.
2. धार्मिक विषयों पर- 31 चालीसा
श्री राम, श्री कृष्ण, शनिदेव, मां नर्मदा, भगवान बुद्ध, महाभारत, रामायण, श्रीमद्भागवत, सत्यनारायण कथा, भक्त शबरी, राधा, सुदामा, भोलेनाथ, श्रीनाथजी आदि.
3. लोक देवताओं पर- 6 चालीसा
रुणिचा रामदेव (राजस्थान), वीर तेजाजी, देवनारायण, राजा भरथरी, संत सिंगाजी, हरदोल लला.
4. महिला सशक्तिकरण पर- 10 चालीसा
बेटी, मां अहिल्याबाई होलकर, लक्ष्मीबाई, सावित्रीबाई फुले, लता मंगेशकर, गीता बेन, पन्ना धाय, भीमाबाई, मुलिया बाई, बहिना चालीसा.
5. महापुरुषों पर- 11 चालीसा
महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, डॉ. भीमराव अंबेडकर, महाराणा प्रताप, अटल बिहारी वाजपेयी, ओशो, मुनि तरुण सागर, अब्राहम लिंकन, सुभाष चंद्र बोस, सचिन तेंदुलकर.
इन विषयों के अलावा भी लिखा जा रहा है
इसके अलावा डॉ. मसानिया ने 'पत्रिका चालीसा', 'आगर चालीसा', 'दरबार कोठी चालीसा', 'बारहमासी चालीसा', 'बालिका प्रेरणा चालीसा' जैसी कई अन्य लोकजीवन और स्थान विशेष पर आधारित रचनाएं भी की हैं.
डॉ. दशरथ मसानिया ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर किसी कार्य को जुनून से किया जाए तो वह समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है. उनकी ये चालीसाएं सिर्फ कविता या भक्ति गीत नहीं, बल्कि समाज को शिक्षित करने, महिलाओं को प्रेरित करने और बच्चों को ज्ञान देने का जरिया बन चुकी हैं.
डॉ. दशरथ मसानिया ने कहा, "मुझे बच्चों को पढ़ाना बेहद पसंद है, लेकिन जब मैंने देखा कि बच्चे रुचि नहीं ले पा रहे हैं तो मैंने सोचा कि उन्हें कुछ नया और रचनात्मक देना चाहिए. बस यहीं से चालीसा लेखन की शुरुआत हुई और आज ये एक मिशन बन गया है."
(प्रमोद कारपेंटर की रिपोर्ट)