बिहार का महापर्व छठ पूजा इस साल फिर से इंग्लैंड मे धूम धाम से मनाया जायेगा. पिछले साल की तरह इस साल भी 'बिहारीस बियॉन्ड बॉउंड्रीज़' ग्रुप के सौजन्य से छठ पूजा का आयोजन इंग्लैंड के लीड़्स शहर के हिन्दू मंदिर में भव्य रूप में किया जा रहा है. पिछले साल के सफल आयोजन के बाद इस साल बिहार, झारखण्ड राज्य और पूर्वांचल भूभाग मूल के लगभग 400 परिवार इस महापर्व को मनाने के लिए 18 से 20 नवंबर तक लीड्स में इकट्ठे होंगे.
संयोजक अजय कुमार बताते हैं, "गत वर्ष की अपेक्षा में करीब 100 अतिरिक्त परिवार हमारे साथ इस वर्ष जुड़े हैं. यह दर्शाता है की छठ पूजा में लोगो का अटूट विश्वास है और जैसे-जैसे लोगो ने इसके बारे में सुना, हमारे साथ जुड़ते चले गए." इस बार छठ महापर्व में 5 व्रती छठ का व्रत धारण करेंगे और इनके लिए सारी व्यवस्था 2 महीनों पहले से शुरू कर दी गई थी. इसमें भारत एवं स्थानीय मार्केट से सभी पूजन और अन्य आयोजन से संबंधित सामग्री मंगवाई गई हैं. व्रतियों एवं आगंतुकों के लिए ठहरने की खास व्यवस्था भी की गई है.
बच्चों को संस्कृति से जोड़ने की कोशिश
पूजा के आयोजन के माध्यम से बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़ने का भी कार्य किया जायेगा. ऋषिकांत वर्मा ने बताया, "इस वर्ष हमारी कोशिश यह रहेगी की हमारे बच्चे भी बढ़ चढ़ कर इस महा पर्व को मनाये और हमारी संस्कृति और प्रथाओं से जुड़ा हुआ महसूस करें. इसीलिए इसवर्ष बच्चों के लिए खास छठ चित्रांकन और छठ गीत प्रतियोगिता, एनीमेशन के माध्यम से छठ पूजा की कथा एवं ठेकुआ मेकिंग एक्सपीरियंस की व्यवस्था की है."
इस बार छठ पूजा के वीडियोस को स्थानीय स्कूलों को भेजने का सोचा है ताकि जिस तरीके से इंग्लैंड में दिवाली, दशहरा, ओणम एवं होली को लोग जानने लगे हैं उसी तरह छठ महापर्व को भी जाने और यह समझे की किस तरह हमारी संस्कृति सदियों से प्रकृति और सूर्य को भगवान मान उन्हें पूजती आ रही है.
'बिहारीस बियॉन्ड बॉउंड्रीज़' ने इस साल इंग्लैंड में बिहार और झारखण्ड के प्रमुख संस्कृतियों जैसे भोजपुरी, मगही, मैथिलि और संथाल से जुड़ी अलग-अलग संस्थानों को एक साथ जोड़ने का काम किया है. इसकी छवि छठ पूजा में भी दिखेगी. पंकज झा बताते हैं कि आयोजन स्थल पर मधुबनी पेंटिंग, छठ के भोजपुरी और मगही गीतों से भरे रंगारंग कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है. इन सब का आनंद नहीं सिर्फ बिहार, झारखण्ड और पूर्वांचल में आने वाले उठा पाएंगे बल्कि यहां रह रहे दूसरे राज्यों के लोग भी उठा सकेंगे.