वृंदावन में गर्मी की शुरुआत के साथ ही बांके बिहारी मंदिर में परंपरागत फूल बंगला सजाने की रस्म शुरू हो गई है. यह आयोजन हर वर्ष गर्मी में ठाकुर जी को शीतलता प्रदान करने के उद्देश्य से किया जाता है और हरियाली अमावस्या तक चलता है. इस बार भी मंदिर परिसर में रंग-बिरंगे फूलों से सजा यह भव्य आयोजन भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है.
दरअसल, गर्मी में जब तापमान बढ़ता है तो भगवान को भी ठंडक की आवश्यकता होती है. ऐसे में अलग-अलग किस्म के देसी और विदेशी फूलों से उनका शयन स्थल सजाया जाता है ताकि उन्हें ठंडक मिले.
सुगंधित फूलों का प्रयोग किया जाता
फूल बंगला की सजावट में लिली, गेंदा, गुलाब, कमल, रजनीगंधा जैसे सुगंधित और रंगबिरंगे फूलों का प्रयोग किया जाता है. हर दिन सुबह और शाम दोनों समय फूल बंगला को सजाया जाता है. इसके लिए कई कुंतल फूल मंगवाए जाते हैं, जिन्हें विशेष ढंग से सजाकर ठाकुर जी के आसन, परिक्रमा स्थल और शयन कक्ष को सजाया जाता है.
इस दौरान ठाकुर बांके बिहारी जी गर्भगृह से बाहर आकर जगमोहन बरामदा में विराजमान होते हैं. यही वह समय होता है जब भक्तों को ठाकुर जी के विशेष दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है. भक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ रही है, और हर कोई इस अद्भुत दृश्य को अपनी आंखों में समेट लेना चाहता है.
इसकी पौराणिक जड़ें हैं
इस आयोजन की पौराणिक जड़ें भी हैं. मान्यता है कि इसकी शुरुआत स्वामी हरिदास जी ने की थी, जो भगवान कृष्ण के महान भक्त थे. उन्होंने सबसे पहले रायबेल स्थान पर फूल बंगला की परंपरा शुरू की थी, जिसे बाद में बांके बिहारी मंदिर में भी अपनाया गया. तभी से यह परंपरा निरंतर चल रही है.
भक्तों में इस आयोजन को लेकर गहरा उत्साह है. एक महिला श्रद्धालु ने कहा, "यहां आकर बहुत आनंद मिला, मन करता है कि यह सुंदर बंगला पूरे सालयूं ही सजा रहे." वृंदावन की ब्रजभूमि भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की साक्षी रही है और आज भी यहां की हवा में उनकी उपस्थिति महसूस होती है.
फूल बंगला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति से प्रेम का भी संदेश देता है. गर्मी में फूलों की शीतलता और उनका सौंदर्य जब ठाकुर जी की सेवा में लग जाता है, तो वह दृश्य भक्तों के मन को भी शीतलता प्रदान करता है. यह आयोजन वृंदावन की आध्यात्मिक परंपराओं का एक अनुपम उदाहरण है, जो श्रद्धा, सेवा और प्रकृति प्रेम को एक साथ जोड़ता है.