लक्ष्मी पूजा के लिए दिनभर में रहेंगे 5 शुभ मुहूर्त, जानिए पूजा विधि और महत्व

सनातन सांस्कृतिक परम्परा के अनुसार दीपावली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. वहीं लोक मान्यताओं के अनुसार श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद इसी दिन अयोध्या पहुंचे थे.

इस बार दिपालवी पूजा के 5 शुभ मुहूर्त
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:17 PM IST
  • दीपावली पर प्रकट हुई थीं महालक्ष्मी
  • कार्तिक अमावस्या पर दीप दान करने से खत्म होते हैं पाप

कोरोना महामारी के बाद ये पहली दिवाली है जिसमें घरों से लेकर बाज़ारों में रौनक दिखाई दे रही है. कल की दिवाली पूजा के लिए सब तैयारियों में लगे हुए हैं. वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का विवाह हुआ था. इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की परंपरा है. स्कंद और पद्म पुराण का कहना है कि इस दिन दीप दान करना चाहिए, इससे पाप खत्म हो जाते हैं.

लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त, इस बार पूजा का लाभ जल्दी मिलेगा

दिल्ली एनसीआर के समय के मुताबिक दिवाली पूजा या लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर को शाम 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 4 मिनट तक है. अलग-अलग शहर के पूजा समय में मामूली अंतर भी हो सकता है. दिपावली के दिन लक्ष्मी पूजा से पहले कलश, भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र, कुबेर और देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है. ज्योतिषियों का कहना है कि इस बार दिवाली पर तुला राशि में चार ग्रहों के आ जाने से चतुर्ग्रही योग बन रहा है. इस दिन की गई पूजा का शुभ फल जल्दी ही मिलेगा. ज्योतिष के अनुसार कल की दिवाली पूजा के 5 शुभ मुहुर्त रहेंगे, जिसमें घर में पूजा कराने का शुभ मुहु्र्त दोपहर 2.50 से शाम 4.20 तक, शाम 5.34 से रात 8.10 तक, और रात 11.40 से 12.31 तक रहेगा,  दफ्तर में पूजा का शुभ मुहुर्त शाम 11.20 से दोपहर 1.27 तक और दोपहर 2.50 से शाम 4.20 तक रहेगा.  फैक्ट्री में पूजा का शुभ मुहुर्त सुबह 9 से 11.19 तक और रात 11.40 से 12.31 तक रहेगा. दुकान में पूजा का शुभ मुहुर्त दोपहर 2.50 से शाम 4.20 तक और शाम 5.34 से रात 8.10 तक रहेगा

दिवाली पूजा की विधी

दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा की पूजा की जाती है.  लक्ष्मी को धन/संपत्ति की देवी माना जाता है, वहीं भगवान गणेश बुद्धि और कार्य को सफल करने वाले देवता माने जाते हैं. लक्ष्मी पूजा में मीठे का भोग जैसे खीर, मिठाई, हलवा व मोदक का भोग लगाया जाता है. दीपावली के मौके पर बहुत से लोग व्रत भी रखते हैं और देवी-देवताओं के साथ अपने पूर्वजों के नाम का दिया भी जलाते हैँ. 

दिवाली का महत्तव

भगवान राम जब लंका के राजा राक्षस रावण पर विजय पाकर 14 वर्ष बाद अयोध्या लौटे तो उनके सकुशल आगमन की खुशी में नगरवासियों ने दीपों की कतारें सजाकर उत्सव मनाया था. तब से ही दिवाली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय रूप में मनाया जाता है.

 

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