Sheetala Ashtami 2024: शीतला अष्टमी पर्व पर पर करें ये विशेष उपाय, बीमारियों से मिलेगी मुक्ति और बच्चे की आयु होगी लंबी

शीतला माता को मां भगवती दुर्गा का रूप माना जाता है और उनकी पूजा से मनुष्य को आध्यात्मिक रूप से मजबूती मिलती है. न सिर्फ आध्यात्मिक रूप से मजबूती बल्कि बदलते मौसम के चलते शरीर में होने वाले विकार भी मां की पूजा आराधना से दूर हो जाते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि मां शीतला की महिमा क्या है और क्यों शीतला अष्टमी का पर्व मनाते हैं.

Sheetala Ashtami 2024 (File Photo)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 10:40 AM IST
  • मां शीतला की उपासना से दूर हो जाते हैं रोग
  • निरोगी काया का वरदान देती हैं मां शीतला

मां शीतला की उपासना का सबसे उत्तम दिन शीतला अष्टमी है. कहते हैं कि इस दिन देवी की उपासना से विशेष लाभ मिल सकता है. शीतला माता को मां भगवती दुर्गा का ही रूप माना जाता है और उनकी पूजा से जहां मनुष्य को आध्यात्मिक रूप से मजबूती मिलती है तो वहीं बदलते मौसम के चलते शरीर में होने वाले विकार भी मां की पूजा आराधना से दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं क्या है कि मां शीतला की महिमा और क्यों मनाते हैं शीतला अष्टमी का पर्व.

मां शीतला की महिमा

सबसे पहले इनका उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है , इनको बहुत सम्मान का स्थान प्राप्त है. इनका स्वरूप बहुत शीतल है और रोगों को हरने वाला है. इनका वाहन है गधा और इनके हाथों में कलश ,सूप ,झाड़ू, और नीम के पत्ते हैं. मुख्य रूप से इनकी उपासना गर्मी के मौसम में की जाती है. इनकी उपासना का मुख्य पर्व "शीतला अष्टमी" है. मान्यता ये भी है कि शीतला अष्टमी का व्रत रखने वाले इंसान के संपूर्ण कुल के रोग-दोष मां शीतला हर लेती हैं.

मां शीतला के स्वरूप से क्या संदेश मिलता है ?

शीतला अष्टमी के दिन ताजा भोजन नहीं पकाया जाता, इस दिन खाना पकाने के लिए आग नहीं जलाते एक दिन पहले ही यानी सप्तमी के दिन ही खाना बनाते हैं. कहते हैं मां शीतला का ये व्रत बदलते मौसम में बीमारियों और संक्रमण से बचाता है . क्योंकि शीतला माता स्वच्छता की देवी हैं . इनके स्वरूप को गौर से देखें तो सेहत से जुड़ी एक विशेष संदेश मिलता है. 

कलश , सूप , झाड़ू और नीम के पत्ते इनके हाथ में रहते हैं. ये सारी चीज़ें साफ़ सफाई और समृद्धि की सूचक है. इनको शीतल और बासी खाद्य पदार्थ चढ़ाया जाता है,जिसे बसौड़ा भी कहते हैं. इनको चांदी का चौकोर टुकड़ा अर्पित करते हैं, जिस पर उनका चित्र बना हो. आमतौर पर इनकी उपासना बसंत और ग्रीष्म ऋतु में होती है. इन्हीं ऋतुओं में रोगों के संक्रमण की आशंका सबसे ज्यादा होती है. शीतला अष्टमी के इस पर्व का महत्व केवल धार्मिक नहीं. इस परम पावन पर्व का वैज्ञानिक पहलू भी है.

शीतला अष्टमी पर कैसे मिलेगा आरोग्य का वरदान 

शीतला अष्टमी पर विशेष उपाय से आप अपनी संतान को रोग मुक्त बना सकते हैं. बच्चों की अच्छी सेहत के लिए मां शीतला को एक चांदी का चौकोर टुकड़ा अर्पित करें. ध्यान रहे कि चांदी के चौकोर टुकड़े पर मां शीतला का चित्र बना हो. मां शीतला को खीर का भोग लगाएं. बच्चे के साथ बैठकर मां शीतला की उपासना करें . चांदी का चौकोर टुकड़ा लाल धागे में बच्चे के गले में पहनाएं शीतला अष्टमी पर संतान की सेहत का उपाय तो आपने जान लिया. अब हम आपको बताने जा रहे हैं ईश्वर से जुड़ने के विशेष उपाय. अगर चाहकर भी आपका मन ईश्वर की उपासना में नहीं लगता. 

 

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