चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा होती है. इस दिन की पूजा देवी के मूल भाव को दर्शाता है. देवीभगवत् पुराण में बताया गया है कि देवी मां के 9 रूप और 10 महाविघाएं सभी आदिशक्ति के अंश और स्वरूप हैं लेकिन, भगवान शिव के साथ उनके अर्धांगिनी के रूप में महागौरी सदैव विराजमान रहती हैं.
मान्यता है कि अपनी कठिन तपस्या से मां महागौरी ने गौर वर्ण प्राप्त किया था. यही कारण है कि इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है. इनका स्वरूप अत्यंत सौम्य है. मां गौरी का ये रूप बेहद सरस, सुलभ और मोहक है. इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी सफेद हैं. इनकी चार भुजाएं और इनका वाहन बैल है. मां दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल थामे हुए हैं.
मां महागौरी की पूजा विधि
सबसे पहले चौकी पर माता महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक और सप्तशती मंत्रों द्वारा माता महागौरी सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें. इस दिन कन्या भोजन भी कराया जाता है.
मां महागौरी का पूजामंत्र
मां महागौरी का पूजन करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. इनकी अराधना से असंभव काम भी संभव हो जाते हैं. सभी पापों का नाश होता है और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
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