महाकुंभ 2025 शुरू होने में अब बस कुछ ही दिन बाकी है. प्रशासन महाकुंभ (Mahakumbh 2025) की तैयारी में जुटा हुआ है. इस बार महाकुंभ में आम लोगों के साथ खास लोगों के लिए तैयारी की गई है. महाकुंभ में मोस्ट VVIP के लिए तैरते कॉटेज और उसमें बना स्नान कुंड भी है. इसके अलावा वीवीआईपी लोगों के लिए क्रूज़ भी है.
संगम में ये समय प्रवासी साइबेरियन पक्षियों का होता है. ऐसे में गंगा जमुना संगम का ये इलाका पक्षियों की चहचहाट और कोलाहल से बेहद खूबसूरत हो गया है. महाकुंभ में रेलवे से लेकर घाट तक अच्छी खासी तैयारी की है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) खुद कई बार जायजा लेने के लिए संगम नगर आ चुके हैं. इस बार श्रद्धालुओं के लिए खास इंतजाम किए गए हैं.
महाकुंभ में क्रूज
प्रयागराज संगम में किले से सटा VVIP घाट है. इस घाट के एक ओर क्रूज़ खड़ा है तो दूसरी तरफ पहली बार आए मोटर बोट भी हैं. ये मोटर बोट काफी आधुनिक हैं. इनका इस्तेमाल स्पीड बोट के लिए भी किया जाता रहा है.
महाकुंभ में इस बार अत्याधुनिक बोट लाया गया है. इसमें 6 लोग सवार हो सकते हैं. यह आधुनिक बोट पहली बार संगम में श्रद्धालुओं और सैलानियों के लिए होगी. इस वोट में तमाम सुरक्षा के फीचर लगाए गए हैं. तकरीबन दो दर्जन ऐसे बोट होंगे जिन्हें संगम और कुंभ सुरक्षा में लगाया जाएगा. साथ ही ये बोट सैलानियों के लिए भी उपलब्ध होंगे.
तैरते कॉटेज
महाकुंभ में VVIP घाट पर तैरते कॉटेज भी मौजूद हैं जो देश के वीवीआईपी लोगों के लिए है. क्रूज से सटे ये कॉटेज संगम में तैर रहे हैं. इस कॉटेज में एक कमरा भी है और ड्राइंग रूम है. इसके अलावा तैरते हुए कॉटेज में स्नान कुंड है. ये स्नान कुंड वीवीआईपी के लिए लोगों के लिए खास व्यवस्था है.
अमृत स्नान
महाकुंभ में अमृत स्नान का बहुत अधिक महत्व है. अमृत स्नान में सबसे पहले साधु संत स्नान करते हैं. इसके बाद श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है. साथ ही सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.
13 जनवरी को पौष पूर्णिमा पर पहला अमृत स्नान होगा. वहीं 14 जनवरी को दूसरा अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन होगा. इसके बाद 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन तीसरा स्नान होगा. 2 फरवरी को बसंत पंचमी पर चौथा अमृत स्नान होगा. 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन पांचवां स्नान होगा. वहीं 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ का छठा और अंतिम स्नान होगा.
कुंभ मेले का महत्व
धार्मिक रूप से कुंभ मेले का विशेष महत्व है. हर 3 साल में कुंभ मेला लगता है. वहीं हर 6 साल में अर्धकुंभ मेले का आयोजन होता है. और हर 12 साल पर महाकुंभ मेला लगता है. प्रयागराज के अलावा हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में कुंभ का आयोजन होता है.
12 साल बाद प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. इस मेले में देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यही वजह है महाकुंभ 2025 की तैयारी भी बड़े और भव्य स्तर पर की गई है.