Friday Fasting Puja Vidhi: शुक्रवार के दिन होती है किन-किन देवी-देवताओं की व्रत-उपासना, जानिए पूजा विधि के बारे में

शुक्रवार का दिन शुक्र ग्रह के साथ-साथ मां वैभव लक्ष्मी और मां संतोषी को समर्पित है. इस दिन इन तीनों देवी-देवताओं की पूजा-उपासना होती है और व्रत भी किया जाता है. हालांकि, तीनों के लिए व्रत और पूजा-विधि अलग-अलग है.

Maa Vaibhav Lakshmi, Shukra Grah and Maa Santoshi Vrat Puja Vidhi (Photos: Pinterest)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 22 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST
  • मां संतोषी, वैभव लक्ष्मी, और शुक्र ग्रह को समर्पित है यह दिन
  • किसी पंडित या ज्योतिष की सलाह पर कर सकते हैं व्रत

हिंदू मान्यता के मुताबिक, शुक्रवार का दिन मां संतोषी, वैभव लक्ष्मी, और शुक्र ग्रह को समर्पित है. शुक्रवार के दिन लोग अपनी कुंडली या ग्रह-नक्षत्रों के हिसाब से किसी पंडित या ज्योतिष की सलाह पर शुक्र ग्रह, मां संतोषी या वैभव लक्ष्मी का व्रत कर सकते हैं. आज हम आपको बता रहे हैं इन तीनों व्रत की अलग-अलग पूजा विधि. 

मां वैभव लक्ष्मी के व्रत की पूजा विधि:

  • सबसे पहले व्रत रखने वाली महिला या पुरुष को शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और स्नान करके साफ वस्त्र पहनें. 
  • अब मंदिर या घर के किसी साफ-सुथरे कोने में मां वैभव लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने चौकी बनाएं. 
  • प्रतिमा के सामने मुट्ठी भर चावल रखें और उस पर जल से भरा तांबे का कलश रखें. 
  • अब मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं. और फिर मां लक्ष्मी को फूल, चंदन, अक्षत, पुष्प माला, पंचामृत, दही, दूध, जल, कुमकुम, मौली, दर्पण, कंघा, हल्दी, कलश, विभूति, कपूर, घंटी, आम और पान के पत्ते, केले, धूप बत्ती, और प्रसाद अर्पित करें. 
  • हाथ जोड़कर मां लक्ष्मी के श्रीयंत्र और अन्य स्वरूपों को प्रणाम करें. 
  • इसके बाद मां वैभव लक्ष्मी की कथा पढ़ें. आप कथा पढ़ने के लिए पहले ही किताब खरीदकर रखें. 
  • कथा समाप्त करने के बाद माता की आरती करें और उन्हें मीठे का भोग लगाएं. खीर या रबड़ी का भोग लगाना बहुत अच्छा रहता है. 
  • भोग लगाने के बाद हाथ जोड़कर मां के सामने अपनी मनोकामना पूरी होने की विनती करें. 
  • दिनभर व्रत करने के बाद शाम के समय सादा भोजन किया जा सकता है. 

वैभव लक्ष्मी व्रत के दौरान, आप पूरे दिन फल खा सकते हैं, फलों का जूस पी सकते हैं, और पानी पी सकते हैं. रात में पूजा के बाद आप अन्न भी ग्रहण कर सकते हैं. हालांकि, जिस दिन आपका व्रत हो, उस दिन घर में प्याज़-लहसुन का भोजन न बनाएं.

वैभव लक्ष्मी व्रत का उद्यापन: वैभव लक्ष्मी व्रत में आप 11, 21 या 51 शुक्रवार तक व्रत की मन्नत करते हैं. जितने भी शुक्रवार की आपने मन्नत ली है, उतने दिन उपवास करें. अंतिम व्रत वाले शुक्रवार को मां वैभव क्ष्मी का व्रत और पूजा करें. संध्या समय में 7 या 9 कन्याएं या सुहागिनों को शुद्ध-सात्विक खीर-पूरी का भोजन कराएं. उन्हें मां वैभव लक्ष्मी व्रत कथा की किताब, दक्षिणा और केले का प्रसाद देकर विदा करें. इसके बाद खुद भी भोजन करें. 

मां संतोषी के व्रत की पूजा-विधि 

  • सबसे पहले शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें. 
  • अब घर के मंदिर या किसी पवित्र स्थान पर एक चौकी रखें. इस चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर मां संतोषी की मूर्ति या तस्वीर रखें.
  • अब इस चौकी के साथ ही पानी का कलश भरकर रखें और इस कलश को किसी मिट्टी के पात्र से ढक दें. इस पात्र में गुड़ और चना रखें. 
  • अब मां संतोषी के सामने दीपक जलाएं और उनका गंगाजल से अभिषेक करें.
  • मां संतोषी को अक्षत, फूल, और फल चढ़ाएं. इसके बाद मां संतोषी की व्रत कथा सुनें और उनकी आरती करें. 
  • आरती के बाद गुड़ और चने का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में बांटें. 
  • दिनभर मां संतोषी का व्रत करें लेकिन व्रत के दौरान खट्टी चीजों का सेवन बिल्कुल न करें. 
  • मां संतोषी के व्रत के नियमों का पालन करें और अपने घर में सुख-समृद्धि की कामना करें. 

मां संतोषी के व्रत का उद्यापन: मां संतोषी का व्रत जब भी शुरू करें, यह 16 शुक्रवार किया जाता है. 16वें शुक्रवार को व्रत का उद्यापन करना होता है. इसके लिए संध्या समय संतोषी मां की पूजा करके 8 बालकों को शुद्ध-सात्विक भोजन कराएं. दक्षिणा और केले का प्रसाद देकर उन्हें विदा करें. इसके बाद खुद भी भोजन कर लें. 

शुक्र ग्रह व्रत की पूजा विधि 

यह व्रत शुक्र ग्रह की शांति के लिए किया जाता है. शुक्र ग्रह की पूजा से सौंदर्य, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है. शुक्र ग्रह के व्रत तब करने चाहिए जब शुक्र उदित हो. 

  • सबसे पहले शुक्रवार के दिन उठकर सुबह स्नान करें और सफेद रंग के कपड़े पहनें.
  • अब किसी पवित्र जगह पर शुक्र देव की तस्वीर की स्थापना करें. नके सामने दीप जलां और उन्हें अक्षत, फूल, और फल चढ़ाएं. 
  • अब बीज मंत्र 'ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नमः' की 3 या 21 माला जपें. 
  • दिनभर व्रत रखें और शाम को पूजा के बाद व्रत खोलें. भओजन में चावल, खांड या दूध से बनी चीजों का ही सेवन करें. 
  • शुक्र ग्रह की पूजा से सौंदर्य, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है. शुक्र ग्रह की पूजा से प्रेम और विवाह संबंधी समस्याओं का समाधान होता है. 

शुक्र ग्रह व्रत का उद्यापन: शुक्र ग्रह के व्रत के लिए 21 या 51 शुक्रवार व्रत की मन्नत ली जाती है. आखिर व्रत वाले शुक्रवार को उद्यापन करना चाहिए. उद्यापन के लिए सोना-चांदी, चावल, मिसरी, दूध, सफेद कपड़े, सफेद घोड़ा या चंदन आदि दान करना चाहिए. इस दिन शुक्र ग्रह के मंत्र- 'ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नमः' का कम से कम 16000 की सख्या जाप करना चाहिए. साथ ही, शुक्र ग्रह की लकड़ी उदुम्बर से बीज मंत्र की एक माला यानी 108 बार मंत्रोच्चारण करते हुए हवन करना चाहिए. हवन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. 

जरूरी नोट: यह पूजा विधि सामान्य है, व्रत शुरू करने से पहले अपने आसपास किसी मंदिर में जाकर पंडित से पूरी जानकारी लें और तब ही व्रत शुरू करें ताकि किसी तरह की कोई गलती न हो. 

 

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