राजस्थान में भीलवाड़ा ज़िले के बिजौलिया कस्बे में है नारी गणेश मंदिर. अब चाहे नारी गणेश सुनने में भले ही अटपटा लगता है लेकिन बिजौलिया कस्बे के मंदाकिनी मंदिर समूह में देश का अनूठा मूर्ति धाम है यह जहां नारी गणेश की दो मूर्तियां हैं. इनमें वैनायिकी की एक मूर्ति आगे के मंदिर द्वार के भीतरी भाग में स्थापित है और दूसरी पीछे के मंदिर की परिक्रमा के बाहरी भाग में दक्षिणाभीमुख है.
लगभग 1300 साल पुराने इस मंदिर में बनी नारी गणेश मूर्तियों की बहुत कम लोगों को जानकारी है. मंदाकिनी मंदिर में ललितासन में उत्कीर्ण की गई मूर्तियों के हाथों में गणेशजी की तरह फरसा, गदा, मोदक आदि है. एक मूर्ति में सूंड बायीं और मोदक थाल पर हैं. उन्नतवक्ष और अलंकरण नारी देह का परिचायक है.
गणेशी कौन है:
विष्णु-लक्ष्मी, शिव-पार्वती, राम-सीता की तरह इन प्रतिमाओं को देखकर गणेशी के गणेश की पत्नी होने का अनुमान लगाया जाता है. लेकिन वैनायिकी की गणना 64 योगिनियों में की गई है. मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण के अनुसार, इन्हें वैनायिकी और गजानन कहा गया है. देवी सहस्त्रनाम में इसे गणेशानी, वैनायिकी, लंबोदरी और गणेश्वरी कहा गया है. बौद्ध ग्रंथों में नारी गणेश को गणपति हर्द्ध्या कहा गया है. बृहत् संहिता के अनुसार, मातृका प्रतिमाओं में नारसिंह, वाराही के साथ वैनायिकी की गणना है.
मेवाड़ में है नारी गणेश पूजा की परंपरा :
पंडित शांतिलाल जोशी ने बताया कि इसी बिजौलिया क्षेत्र के मेनाल और मंदाकिनी मंदिर का निर्माण नौवीं और 12वीं सदी का माना जाता है. मेनाल और मंदाकिनी को मूर्ति धाम के रूप में प्रतिष्ठा देने का प्रयास किया गया है. उस वक्त शिल्पियों ने यहां नारी गणेश का अंकन किया. जोशी ने बताया कि मंदाकिनी मंदिर अद्भुत है जहां नारी गणेश की दो मूर्तियां है.
मान्यता है की मेवाड़ में महामारी से बचाव और फसलों को टिड्डियों के हमले से बचाने की कामना के लिए नारी गणेश को पूजने की परंपरा रही है. इस बार गणेश चतुर्थी पर नारी गणेश जी को लड्डू का भोग लगा कर विशेष पूजा अर्चना की गई. बिजौलिया कस्बे के समीप स्थित मैनाल झरने के पास नाथ संप्रदाय के भगवान शिव के मंदिर भी अति प्राचीन है.
(भीलवाड़ा से प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट)