नवरात्र का पावन त्योहार आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित है. धर्मशास्त्र कहते है नवरात्र साल में चार बार मनाई जाती है. दो बार गुप्त नवरात्र और दो बार सामान्य नवरात्र. आषाढ़ माह में पड़ने वाले नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. गुप्त नवरात्र, गोपनीय साधनाओं के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस साल गुप्त नवरात्रि बेहद ही शुभ संयोग में शुरू हो रहे हैं. इस बार आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्र 30 जून से 08 जुलाई तक रहेंगे. भक्त मां भगवती को प्रसन्न करके आप अपनी सारी मनोकामनाएं पूरी कर सकते है. जो साधक मां भगवती को प्रसन्न कर लेते हैं उसके सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं. संकट और बाधाएं उससे कोसों दूर हो जाती हैं.
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना 30 जून 2022, गुरुवार को होगी. घटस्थापना मुहूर्त सुबह 05 बजकर 26 मिनट से सुबह 06 बजकर 43 मिनट है.अभिजित मुहूर्त 30 जून 2022, सुबह 11 बजकर 57 से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि 29 जून को सुबह 08 बजकर 21 मिनट से 30 जून को सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक रहेगी.
किसी नए काम की शुरुआत को शुभ माना जाता है
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के पहले दिन यानी 30 जून को गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्ध योग, अमृत सिद्ध योग, आडल योग और विडाल योग बन रहे हैं. इस दिन ध्रुव योग सुबह 09 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. इसी समय पुनर्वसु नक्षत्र और पुष्य नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इन सभी योगों को शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना गया है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस दौरान किसी नए काम की शुरुआत करना व धार्मिक कार्य करना शुभ माना जाता है. विवाद निपटाने, समझौता करने व रुठे लोगों को मनाने के लिए ये योग शुभ माने गए हैं. इतना ही नहीं इन योग में किए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और मान-सम्मान में वृद्धि होती है.
आधी रात से सूर्योदय तक की पूजा देती है विशेष फल
गुप्त नवरात्र के नौ दिन मां के 9 स्वरूपों के साथ ही 10 महाविद्याओं की भी खास साधना की जाती है.ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में मां के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है.कहते है कि इस समय की गई शक्ति की साधना कुंडली के समस्त दोषों को दूर कर देती है.इस शक्ति उपासना से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहते है कि गुप्त नवरात्र की पूजा का सबसे उत्तम समय आधी रात से सूर्योदय तक को होता है. इस समय की गई पूजा सबसे प्रभावशाली होती है.
कैसे करें उपासना?
सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें. सबसे पहले घट स्थापना करें. फिर पूर्व दिशा में एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं. मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद मां को लाल रंग का सिंदूर और लाल चुनरी पहनाएं. मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है. मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक पानी का छिड़काव करें. शुभ मुहूर्त में कलश को गंगा जल से भरें. कलश के मुख पर आम की पत्तियां लगाकर उस पर नारियल रखें.
कलश को लाल कपड़े से लपेटकर उसके ऊपर मौली बांधें. अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें और घी की ज्योत लगाएं. कपूर अगरबत्ती की धूप करें और भोग लगाएं.
इस मंत्र का करें जप
नौ दिनों तक 'दुर्गा मंत्र ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।' की एक माला का जाप करें. माता के सामने हाथ जोड़कर उनका अपने घर में स्वागत करें व उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें. गुप्त नवरात्रि में नौ दिन के लिए कलश स्थापना की जाती है.
विशेष पूजा करेगी मनोकामना पूर्ण
गुप्त नवरात्रि पर किसी भी एक रात्रि को मां दुर्गा की पूजा करें.मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और चुनरी अर्पित करें. इसके बाद मां दुर्गा के चरणों में 7 कौड़ियां, 7 कपूर, 7 लौंग अर्पित करें. मां दुर्गा को लाल पुष्प अर्पित करें. अब सरसों के तेल से दीपक जलाकर 'ऊँ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करना चाहिए. अब कपूर, लौंग और कोड़ियो को जलाकर पूरे घर में धूप करें. कहते है कि ऐसा करने से मां जगदंबा प्रसन्न होती है और साधक को मनवांछित फल का वरदान देती है.