इस साल देश में 9 जनवरी को सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह की जयंती मनाई जा रही है. देश में आज प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. हालांकि अगर कोरोना नहीं होता तो देशभर में धूमधाम से यह त्यौहार मनाया जाता. सिख धर्म में सभी दस गुरुओं का महत्वपूर्ण स्थान है.
गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे और उनके बाद ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को सिखों के गुरु होने का स्थान प्राप्त है. क्योंकि गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु गोबिंद ने ही सिखों के धार्मिक ग्रंथ के रूप में स्थापित किया था. इसके अलावा और भी कई नियम गुरु गोबिंद द्वारा बनाए गए थे, जिनका पालन आज भी सिख धर्म के लोग कर रहे हैं.
सिर्फ गुरु नहीं योद्धा भी थे गुरु गोबिंद:
बताया जाता है कि गुरु गोबिंद सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर सिंह के बेटे हैं. उनके पिता की मृत्यु के बाद मात्र नौ साल की उम्र में उन्हें सिखों के गुरु होने की पदवी मिल गई थी. और अपनी आखिरी सांस तक उन्होंने इस पदवी का मान रखा और सिख धर्म के लोगों को मेहनत और इंसानियत की राह पर चलना सिखाया.
सिखों के हितों की रक्षा के लिए कई बार उन्होंने मुग़ल सेना का सामना किया और लोगों को पूरे मान-सम्मान से जीने की राह दिखाई. सिख धर्म को स्थापित करने के लिए उन्होंने 1699 में ‘खालसा’ पंथ की स्थापना की. साथ ही उन्होंने सिखों के लिए पांच ककारों (Ks) को भी बनाया.
इन पांच चीजों का है महत्व:
सिख धर्म के लोगों के लिए गुरु गोबिंद सिंह ने पांच चीजों को बहुत महत्वपूर्ण बताया था. इन पांच चीजों में केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण शामिल हैं. आज भी सिख धर्म के अनुयायी इन पांच चीजों का मान रखते हैं और हमेशा इन्हें पहनते हैं.
गुरु गोबिंद सिंह ने बहुत सी पुस्तकें भी लिखीं और उन्होंने संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएं भी सीखीं थी. साथ ही उन्होंने धनुष-बाण, तलवार, भाला चलाने की कला भी सीखी. उन्हें विद्वानों का संरक्षक माना जाता है.
गुरु गोबिंद सिंह की सीख:
गुरु गोबिंद सिंह की सीखों को आज भी बहुत से सिख मानते चले आ रहे हैं. उनकी सीख बहुत से लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बनी हुई हैं और लोगों के काम आ रही हैं.