Guru Gobind Singh Jayanti 2022: गुरु गोबिंद सिंह की जयंती के मौके पर सिखों के 10वें गुरु के बारे में खास बातें, जो लाखों लोगों के लिए बनें प्रेरणा

गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी. उन्हें सिखों का 10वां गुरु माना जाता है. इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और लोग विशेष प्रार्थना करने आते हैं. भजन, कीर्तन,अरदास उनकी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किए जाते हैं. उन्होंने अपने कर्तव्यों को पालन करते हुए निर्दोष और बेगुनाह लोगों को बचाने की बात कही थी.

Guru Govind Singh Jayanti
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:01 AM IST

सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी की आज जयंती है. गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी.गुरु गोबिंद सिंह का जन्म जूलियन कैलेंडर के अनुसार 22 दिसंबर, 1666 को पटना, बिहार में हुआ था. चूंकि यह कैलेंडर वर्तमान समय में अप्रचलित है, इसलिए इस वर्ष 29 दिसंबर को उनकी 356वीं जयंती मनाई जाएगी. हर साल इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और लोग विशेष प्रार्थना करने आते हैं. भजन, कीर्तन,अरदास उनकी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किए जाते हैं जबकि लंगर पूरे दिन परोसा जाता है.

गुरु गोबिंद सिंह ने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया था. उन्होंने अपना पूरी जीवन मानव सेवा और सच्चाई के मार्ग पर चलते हुए बिताया. गुरु गोबिंद सिंह जयंती सिख समुदाय के बीच एक शुभ दिन है और सिख गुरु को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हर साल मनाया जाता है. 10वें गुरु दमन और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अपने विचारों के लिए दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं. नौ साल की उम्र में, गुरु गोबिंद सिंह को उनके पिता गुरु तेग बहादुर सिंह के औरंगजेब द्वारा सिर काट दिए जाने के बाद सिखों के 10 वें गुरु के तौर पर घोषित किया गया था.

खालसा पंथ की स्थापना की
नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर, गुरु गोबिंद सिंह के पुत्र का नाम वास्तव में गोबिंद राय था. एक बच्चे के रूप में, उन्होंने फारसी, संस्कृत में सबक लिया और योद्धा बनने के लिए सैन्य कौशल सीखा. गुरु गोबिंद सिंह ने बैसाखी पर खालसा पंथ की स्थापना की, जो सिखों के बीच मनाया जाने वाला एक वसंत त्योहार है. उन्होंने 1708 में अपनी मृत्यु से पहले गुरु परंपरा को समाप्त कर दिया और गुरु ग्रंथ साहिब, जो सिखों के लिए एक पवित्र ग्रंथ है, को स्थायी सिख गुरु घोषित किया.औरंगजेब ने 1675 में इस्लाम को धर्म के रूप में स्वीकार नहीं करने के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी के पिता, गुरु तेग बहादुर की हत्या कर दी थी.

खालसा की स्थापना का क्या महत्व था?
गुरु गोबिंद सिंह ने लोगों को उत्पीड़न से बचाने के लिए खालसा की स्थापना की. यह उनकी निडरता और ईश्वर के प्रति समर्पण को दिखाने का एक तरीका भी था.  गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा योद्धाओं के लिए कुछ खास नियम बनाए थे. उन्होंने तम्बाकू, शराब, हलाल मांस से परहेज और अपने कर्तव्यों को पालन करते हुए निर्दोष और बेगुनाह लोगों को बचाने की बात कही थी. सिखों को बाल, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश गुरु गोबिंद सिंह ने ही दिया था. इन्हें 'पांच ककार' कहा जाता है.

 

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