Hanuman Dwadash Naam Stotram: आपकी मनोकामनाएं पूरी करेगा हनुमान जी के द्वादश नामों का पाठ, जानिए क्या है महिमा

आज हम आपको बता रहे हैं हनुमान जी के द्वादश (बारह) नामों के बारे में. इन नामों का पाठ करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. जानिए हनुमानजी के नामों का पाठ करने के फायदे.

Hanuman Dwadash Naam Stotram
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 25 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:16 AM IST
  • आनंद रामायण में बताए गए 12 विशेष नाम
  • संकटमोचन हैं हनुमान जी

हनुमान जी कलयुग के सबसे प्रभावशाली देव माने जाते हैं. माना जाता है कि ये चिरंजीवी हैं और आज भी जीवित हैं. अपनी अद्भुत और कठोर भक्ति के कारण इनको अष्टसिद्धि और नवनिधि का वरदान मिला. इसी वरदान और अपने ईष्ट श्रीराम की कृपा के कारण हनुमान जी अपने भक्तों के कष्ट हरने में सक्षम हैं. इनकी उपासना तुरंत फलदायी होती है और हर तरह के संकट का नाश करती है. हनुमान जी की उपासना में एक तरीका इनके द्वादश (बारह) नाम के पाठ का भी है. 

हनुमान जी के द्वादश नाम 
वैसे से तो हनुमान जी के बहुत सारे नाम हैं, परन्तु आनंद रामायण में इनके विशेष बारह नाम बताये गए हैं. ये नाम हैं - हनुमान, अंजनीसुत, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट, फाल्गुनसखा, पिंगाक्ष, अमितविक्रम, उदधिक्रमण, सीताशोकविनाशन, लक्षमणप्राणदाता और दशग्रीवदर्पहा. हर नाम की अलग अलग महिमा है , और अलग-अलग प्रयोग भी. ये नाम संयुक्त रूप से एक साथ प्रयोग करने से विशेष तरह के लाभ होते हैं. 

कैसे करें इन द्वादश नामों का प्रयोग 

  • प्रातःकाल, रात्रि में सोने के पूर्व, किसी नए कार्य के आरम्भ के पूर्व या यात्रा के पूर्व इन नामों का प्रयोग करें. 
  • पीले कागज़ पर लाल रंग से लिखकर इन नामों को घर के मुख्य द्वार और पूजा स्थान पर भी लगा सकते हैं. 
  • भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखकर इसे लॉकेट की तरह गले में धारण कर सकते हैं. 

नामों के प्रयोग का फायदा 

  • इन नामों का प्रयोग करने से व्यक्ति की दसों दिशाओं और आकाश पाताल से रक्षा होती है. 
  • प्रातःकाल ये नाम लेने से व्यक्ति दीर्घायु होता है. 
  • दोपहर को ये नाम लेने से धनवान होता है.
  • रात्रि को ये नाम लेने से विरोधी परास्त होते हैं और शत्रु शांत होते हैं.

मनोकामना पूरी करने के लिए इन बारह नामों का नित्य प्रातः नौ बार जाप करना चाहिए. अगर पारिवारिक जीवन में कष्ट बहुत ज्यादा हो तो - अधिक से अधिक संयुक्त रूप से श्री शिव पार्वर्ती की पूजा करें. 

 

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