Holi 2024: खतरनाक रंगों से लगता है डर, आ गया है अच्छा ऑप्शन, केशवपुरा गांव की महिलाओं ने तैयार किया गाय के गोबर से गुलाल

गाय के गोबर से कई एक्सपेरिमेंट किए गए हैं, लेकिन गुलाल पहले कभी नहीं बनाया गया था. गोबर गुलाल बनाने के लिए गाय के गोबर को गौशाला से खरीदा जाता है और फिर उसे बारीक पीसकर पाउडर बनाया जाता है.

Gulal
gnttv.com
  • जयपुर ,
  • 19 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 3:39 PM IST
  • शरीर के रोग मिटेंगे 
  • गाय का भी भरण-पोषण हो सकेगा 

खुशियों के त्योहार होली पर मिलावटी रंग और केमिकल गुलाल के प्रचलन से लोग होली खेलने से कतराने लगे हैं. होली के पर्व पर सजे शहर-बाजारों में भी ऐसे खतरनाक रंग भरे पड़े हैं, जिन्हें देख लोग दूरी बना लेते है. लेकिन अब ऐसा नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि इस होली पर जयपुर की महिलाओं ने गाय के गोबर से बना गुलाल तैयार किया है जो पूरी तरह हर्बल है. जयपुर के केशवपुरा गांव की महिलाओं ने इस खास गुलाल को तैयार किया है, जो गाय के गोबर से बना जरूर है लेकिन पूरी तरह हर्बल है. इस गुलाल को गाय के गोबर, आरारोट और प्राकृतिक रंगों से तैयार किया गया है, जो बिलकुल बाकी गुलाल की तरह रंगीला और खुशबूदार भी है.

कैसे बनता है गोबर से गुलाल?

ट्रेनर पारुल हल्दिया ने बताया कि गाय के गोबर से कई एक्सपेरिमेंट किए गए हैं, लेकिन गुलाल पहले कभी नहीं बनाया गया था. गोबर गुलाल बनाने के लिए गाय के गोबर को गौशाला से खरीदा जाता है और फिर उसे बारीक पीसकर पाउडर बनाया जाता है. इसके बाद इसमें खाने के रंग, आरारोट और खुशबू के लिए फूलों की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है. फिर पानी में भिगोकर इसे धूप में सुखाने के बाद इसे पैक किया जाता है. हालांकि इसको बनाने में लागत थोड़ी ज्यादा जरूर आती है लेकिन शरीर की त्वचा के लिए यह बेहद फायदेमंद है और साथ ही गोबर का गुलाल लगने के बाद यह उतर भी जल्दी जाता है. बाकी गुलाल के मुकाबले इसकी कीमत थोड़ी-सी ज्यादा है, लेकिन इसका नुकसान बिलकुल नही है. ये गुलाल ऑर्गेनिक है और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी पूरी तरह सुरक्षित है.

शरीर के रोग मिटेंगे 

वही सुचित्रा अग्रवाल ने बताया कि यह हर्बल गुलाल शरीर की त्वचा के रोगों को मिटाने के हिसाब से तैयार किया गया है. इसको एक्सपर्ट द्वारा लैब टेस्ट भी किया गया है, जिसमें कई सैंपल फैल भी हुए. लेकिन उसके बाद फाइनल सैंपल को आजमाया तो बहुत अच्छा रिजल्ट मिला. आज केशवपुरा गांव के 64 परिवारों की महिलाएं मिलकर इस हर्बल गुलाल तैयार करती हैं. महिलाएं अपने घरों से यह काम करती हैं, पहले केवल सैंपल के तौर पर गुलाल तैयार करवाया जाता था. लेकिन अब लोगों के बीच गोबर के गुलाल की डिमांड बढ़ने लगी है.

गाय का भी भरण-पोषण हो सकेगा 

इसके संचालक संजय छाबड़ा ने इसके पीछे के मकसद के बारे में बताते हुए कहा कि गौ माता को कहने में तो हम मां कहते हैं, लेकिन जैसे ही दूध देना बंद हो जाती है, फिर वह सड़कों पर आवारा घूमती है. ऐसे में यह अनूठा प्रयास है जिससे गाय के गोबर से गाय का ही भरण पोषण हो सकेगा. इसके लिए हर त्योहार पर गोबर से कई सामग्री बनाते हैं और इस बार होली पर गाय के गोबर से महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल बनाया गया है. इस साल लगभग 5 टन गोबर गुलाल तैयार किया गया है. खास बात यह है कि गुलाल की ब्रिकी से आई धनराशि को गांव की महिलाओं और गौशाला में वितरण किया जाता है, जिससे इन ग्रामीण अंचल की महिलाओं के परिवार का भरण पोषण हो और उनका प्रयास है कि पूरे गांव को आत्मनिर्भर बना दिया जाए. साथ ही आवारा घूमने वाली गायों को भी गौशालाओं के जरिए स्वावलंबी बनाया जा सकेगा. ऐसे में उन्होंने उम्मीद जताई है कि धीरे-धीरे आम जनता जागरूक हो रही है और जल्द ही नेचुरल प्रोडक्ट्स की तरफ रुझाने बढ़ेगा. इस बार होली पर सभी बेफिक्र होकर गाय के गोबर से बनी गुलाल से होली खेल सकेंगे.

(विशाल शर्मा की रिपोर्ट)

 

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