Holika Dahan 2024: होलिका दहन आज, कब से कब तक रहेगा भद्रा का अशुभ साया, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Holika Dahan Shubh Muhurat: मान्यता है कि होलिका की अग्नि की पूजा करने व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है. होलिका की पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. मां लक्ष्मी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है.

Holika Dahan (File Photo PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST
  • होलिका दहन से पहले की जाती है उसकी पूजा-अर्चना
  • होलिका दहन की रस्म करते समय पीले या काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए

Holika Dahan Timing 2024: होली खुशियों का पर्व है. इस दिन अमीरी-गरीबी को मिटाकर हर लोग एक रंग में रंग जाते हैं. बच्चे हों या बूढ़े सभी को इस पर्व का इंतजार रहता है. होली से एक दिन पहले यानी फाल्गुन पूर्णिमा की रात को बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए होलिका दहन किया जाता है. फिर अगले दिन यानी चैत्र प्रतिपदा के दिन रंग वाली होली खेली जाती है. इस साल होलिका दहन 24 मार्च को है. इस दिन भद्रा का साया रहेगा. भद्रा में होलिका दहन करने की मनाही है. आइए जानते हैं कि होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है?

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 
आज यानी रविवार को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. इसके बाद ही आप होलिका दहन कर पाएंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी. ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा.

ज्योतिष की गणना के अनुसार होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा. इस साल होलिका दहन के दिन 700 साल के बाद 9 शुभ योग लक्ष्मी, सर्वार्थ सिद्धि, शश महापुरुष, वरिष्ठ, पर्वत, उभयचरी, अमला, सरल और केदार बन रहे हैं. जो व्यक्ति के जीवन में काफी फलदाई रहेगा.  

होलिका दहन के दौरान इन मंत्रों का करें जाप
1. ओम होलिकायै नमः
2. ओम प्रह्लादाय नमः
3. ओम नृसिंहाय नमः

होलिका दहन की पूजा सामग्री
होलिका दहन से पहले उसकी पूजा-अर्चना की जाती है. होलिका पूजन कुछ विशेष सामग्री के बगैर बिल्कुल अधूरा माना जाता है. इसमें एक लोटा जल, गोबर के उपलों से बनी माला, रोली, अक्षत, अगरबत्ती, फल, फूल, मिठाई, कलावा, बताशा, गुलाल पाउडर, नारियल, हल्दी की गांठ, मूंग दाल, और साबुत अनाज पूजा की थाली में जरूर रखें.

होलिका दहन पर क्या नहीं करें
होलिका दहन में सूखी लकड़ियां या झाड़ जलाने की परंपरा होती है. इसमें आम, वट और पीपल की लकड़ी जलाने से बचना चाहिए. इन तीनों पेड़ों की नई कोपलें फाल्गुन में ही निकलती हैं, इसलिए इनकी लकड़ियां नहीं जलाई जाती हैं. आप गूलर या अरंड के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा, इस दिन मांसाहार या तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.

झगड़ा, विवाद, क्रोध, झूठ या किसी का अपमान करने से बचें. होलिका दहन के दिन घर के बाहर किसी के द्वारा दिए गए भोजन या पानी के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है. ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन पर दूसरों को कीमती चीजें या पैसा उधार नहीं देना चाहिए. बालों को रूखा और खुला रखने से बचना चाहिए. होलिका दहन की रस्म करते समय पीले/काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए. होलिका दहन की रात को सलाह दी जाती है कि सड़क पर पड़ी किसी भी बेतरतीब वस्तु को न छुएं क्योंकि वे टोटका वाली हो सकती हैं.

होलिका दहन के दौरान क्या करें
1. होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखे गोबर के उपले, लकड़ी, सूखी घास और काले तिल डालें.
2. इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें.
3. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें. 
4. इसके बाद रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं.
5. कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटकर लोटे का शुद्ध जल व अन्य सामग्री को समर्पित करें.
6. पूजन के पश्च्यात अर्घ्य अवश्य दें. इस प्रकार होलिका पूजन से घर में दुःख-दारिद्रय का प्रवेश नहीं होता है.
7. होलिका दहन करने से पूर्व घर के उत्तर दिशा में शुद्ध घी के सात दिए जलाएं. ऐसा करने से घर में धन, वैभव आता है और बाधाएं दूर होती हैं.
8. होलिका दहन की राख को इकट्ठा करके शरीर पर लगाने से शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है क्योंकि इसे पवित्र माना जाता है.


 

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