Lalbaugcha Raja: जानिए कैसे शुरू हुई लालबाग के राजा की परंपरा, 90 सालों से गणपति की मूर्ति बना रहा है यह परिवार

लालबागचा राजा का मतलब है लालबाग के राजा- यह एक सार्वजनिक गणेश मूर्ति है जिसे गणेश चतुर्थी उत्सव के दौरान महाराष्ट्र में मुंबई के लालबाग इलाके में रखा जाता है और ग्यारहवें दिन इसका विसर्जन किया जाता है.

Mumbai's Lalbaugcha Raja
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 26 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST
  • 1934 में हुई थी शुरुआत 
  • 90 साल से मूर्ति बना रहा है यह परिवार 

गणेश उत्सव की कोई भी बात बिना मुंबई के गणपति उत्सव की चर्चा के पूरी नहीं होती है. मुंबई में लगने वाले गणेश पंडालों का बात हो और से लालबागचा राजा का जिक्र न हो, ऐसा कैसे हो सकता है. लाल बाग के राजा सिर्फ मुंबई या भारतभर में नहीं बल्कि दुनियाभर में मशहूर हैं. हर साल लाखों लोग लालबाग में गणपति बप्पा की एक झलक पाने के लिए आते हैं. 

लाल बाग के राजा गणेश जी की मूर्ति सबसे ऊंची गणपति मूर्तियों में से एक होती है.  और आपको शायद ही पता हो लेकिन लालबागचा राजा का इतिहास 1934 से पुराना है. आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर कैसे हुए लाल बाग के राजा के उत्सव की शुरुआत और कौन इस मूर्ति को बनाता है.  

1934 में हुई थी शुरुआत 
1900 के दशक में, लालबाग का क्षेत्र लगभग 130 कपास मिलों का घर था. उस समय में इसे गिरनगांव या 'मिलों का गांव' भी कहा जाता था. साल 1932 में जब औद्योगीकरण हुआ तो बाजार बंद हो गया. इससे वहां रहने वाले व्यापारी, विक्रेता और मछुआरा समुदाय प्रभावित हुआ. मान्यता है कि यहां पर मछुआरा समुदाय के लोगों ने मन्नत मांगी कि अगर उनका रोजगार बचा रहा तो वे गणपति का उत्सव करेंगे.  

यह उनका सौभाग्य था कि उन्हें एक नया बाज़ार शुरू करने के लिए ज़मीन का एक भूखंड मिला. समुदाय के सदस्यों ने इस भूमि का एक हिस्सा, वर्तमान लालबाग, वार्षिक सार्वजनिक गणेश मंडल को समर्पित करने का निर्णय लिया. इसके बाद, उन्होंने अपने भगवान के प्रति सम्मान दिखाने के लिए यहां गणपति की एक मूर्ति भी स्थापित की और इस तरह यह सब शुरू हुआ. 

90 साल से मूर्ति बना रहा है यह परिवार 
1935 में कांबली परिवार के मुखिया मधुसूदन कांबली ने गणपति की मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी ली. तब से, मूर्ति बनाना और उसकी देखभाल करना उनके परिवार की परंपरा रही है. पिछले कुछ सालों से उनके बेटे रत्नाकर कांबली मूर्ति डिजाइन करते और बनाते आ रहे हैं. यह मूर्ति आमतौर पर 18-20 फीट लंबी होती है. साल 2018 में प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद से, मंडल बिना बैकड्रॉप और सिंहासन के कागज की लुगदी से गणपति बना रहा है. 

सिर्फ मूर्ति ही नहीं, मोदक और लड्डू के साथ भी एक विरासत जुड़ी हुई है. श्री भवानी कैटरर्स कई सालों से लालबागचा राजा के प्रतिष्ठित बूंदी के लड्डू बना रहे हैं. 250 लोग इन स्वादिष्ट बूंदी के लड्डूओं को बनाते हैं और इन्हें बप्पा के भक्तों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. 

 

Read more!

RECOMMENDED