बीती रात जूना अखाड़े के 16 मंडी आश्रम में अभय के माता-पिता उन्हें ढूंढते हुए पहुंचे लेकिन तब तक अभय सिंह आश्रम छोड़ चुके थे. आश्रम में मौजूद दूसरे साधुओं के मुताबिक अभय सिंह लगातार इंटरव्यू दे रहे थे, इससे उनके दिमाग पर असर पड़ गया. उन्होंने मीडिया से कुछ ऐसी बातें भी कहीं जो कहीं से भी उचित नहीं थीं. आश्रम के साधुओं ने कहा कि अभय का दिमागी संतुलन अचानक बिगड़ गया, वह यहां नशा करने लगे, नशे में इंटरव्यू देने लगे और इसे सही ठहराने लगे.
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी के पास भी उन्हें ले जाया गया. ले जाने वाले साधु बताते हैं कि उनकी मानसिक स्थिति देखकर जूना अखाड़े ने फैसला किया कि इन्हें आश्रम छोड़ देना चाहिए और देर रात को अभय सिंह ने आश्रम छोड़ दिया.
माता-पिता के आश्रम से निकल जाने के बाद अभय सिंह दोबारा आधी रात को 16 में जूना अखाड़ा पहुंचे और अपना कुछ सामान लेकर निकल गए.
कौन लेकर आए अभय सिंह को कुंभ
दरअसल, करीब डेढ़ महीने पहले अभय सिंह यूं ही काशी के घाट पर आध्यात्मिक खोज में भटक रहे थे. कई दिनों तक यूं ही घाट किनारे पड़ा रहने वाला यह शख्स अध्यात्म की राह पर काफी आगे बढ़ चुका है. लेकिन इसे परखने वाला कोई नहीं था,अचानक यूं ही काशी में जूना अखाड़े के एक संत सोमेश्वर गिरी की मुलाकात इस आईआईटी इंजीनियर से हो जाती है. बातचीत होते-होते सोमेश्वरगरी को यह लग जाता है कि अभय सिंह में कुछ ऐसी बात है जो उसे दूसरे साधकों से अलग करती है और कुछ ऐसा अभय के भीतर है जो उनके भीतर भी है.
सोमेश्वर गिरी ने पहचाना
अभय सिंह के गुरु भी कोई और नहीं बल्कि इंडियन एयर फोर्स के लिए एरियल फोटोग्राफी कर चुके सोमेश्वर गिरी हैं. इन्होंने इंडियन एयर फोर्स में अपनी सेवाएं दी हैं, सोमेश्वर गिरी ने बताया कि कई दशक पहले वह सेना के लिए गुप्त रूप से दुश्मन देशों में एरियल फोटोग्राफी करते थे लेकिन देश की सुरक्षा की वजह से वो इसपर ज्यादा नहीं बोल सकते.
सोमेश्वर गिरी के मुताबिक, फोटोग्राफी ही वह कॉमन ग्राउंड है जिस पर ये दोनों बातचीत में करीब आए और जब यह लग गया कि यह आध्यात्मिक रूप से काफी आगे बढ़ चुका है तब उन्होंने अभय को अपने साथ लिया.
काशी के गंगा किनारे पर भटकते वाले आईआईटी इंजीनियर को पहले सोमेश्वर गिरी ने कुछ दिनों तक अपने ही कमरे में रखा. फिर उन्हें लग गया कि अभय कहीं उनसे ज्यादा ऊंचे आध्यात्मिक पायदान पर है. उसके बाद सोमेश्वरगिरि ने कई अघोरी नागा साधुओं से अभय की मुलाकात करवाई. इसके अलावा, कई साधकों से भी अभय की मुलाकात कराई जो सालों साल तपस्या में लीन हैं. कई तो ऐसे हैं जिन्होंने 20-30 और 40 सालों से बिना खाए पिए सिर्फ साधना कर रखी है.
सोमेश्वर गिरी मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले हैं. सेवा में नौकरी के बाद उन्होंने भी घर बार छोड़ दिया और काशी में जूना अखाड़े पहुंच गए जहां आध्यात्मिक खोज की उनकी यात्रा भी जारी है.