'एलन मस्क कुंभ आना चाहते थे,' India Today Conclave के मंच पर बोले स्वामी कैलाशनंद गिरि

स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि सनातन, सूर्य की तरह, हर घर में उग रहा है और डूब रहा है. आज सनातन को उन सभी लोगों ने समझा और माना है जो सनातन को नहीं जानते थे.

Swami Kailashanand Giri ji Maharaj
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST

इंडिया टुडे कॉनक्लेव 2025 के मंच पर आध्यात्मिक गुरु और निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर, स्वामी कैलाशानंद गिरि और परमार्थ निकेतन आश्रम के आध्यात्मिक प्रमुख, स्वामी चिदानन्द सरस्वती पहुंचे. दोनों ही आध्यात्मिक गुरुओं ने Mahakumbh: The Tipping Point of Sanatan Dharma सेशन में महाकुंभ की सफलता और सनातन धर्म मे विश्व के लोगों की दिलचस्पी पर बात की.

स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि सनातन, सूर्य की तरह, हर घर में उग रहा है और डूब रहा है. आज सनातन को उन सभी लोगों ने समझा और माना है जो सनातन को नहीं जानते थे. उन्होंने आगे कहा कि आज महाकुंभ के कारण भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सभी लोग कुंभ से जुड़े, गंगा से जुड़े, संस्कृति से जुड़े, संस्कार से जुड़े और उन्होंने भारतीय परंपरा को समझा. यह एक गौरवपूर्ण और ऐतिहासिक विषय है. यह एक स्वर्णिम क्षण है. 

बदल रही है तस्वीर 
इस बार महाकुंभ की तस्वीर बहुत ज्यादा बदली है. एक ज़माने में कुंभ के बारे में लोग जब सोचते थे तो मन में जो तस्वीर आती थी वह सिर पर गठड़ी लादे धोती-कुर्ता पहने गांवों से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ की होती थी जो प्रयागराज पहुंच रही है. इस पर स्वामी चिदानंद स्वामी ने कहा कि इस बार प्राइवेट जेट से, लंबी गाड़ियों से, फ्लाइट और विशेष ट्रेनों से लोग महाकुंभ पहुंचे. लोगों की मानसिकता में यह परिवर्तन आश्चर्यजनक रहा. इस तस्वीर ने कई भ्रमों को तोड़ा. अगर भारत जाति, पंथ और रंग के बीच विभाजित है, तो यहां देखने को मिला कि कोई विभाजन नहीं है, यह सिर्फ नजरिया है. 

उन्होंने कहा कि हम एक हैं. हम एक थे, हम एक हैं, और हम एक रहेंगे और हम एक ही रहेंगे. जहां भारत के प्रधानमंत्री ने डुबकी लगाई, वहीं, चपरासी भी डुबकी लगा रहा है. प्रयागराज में 267 मस्जिदें हैं, प्रयागराज में 22% मुसलमान रहते हैं और 22% ये कोई छोटी संख्या नहीं है. और इतना सब होने के बावजूद लगभग 67 करोड़ लोग आए. किसी ने किसी पर पत्थर नहीं फेंके. किसी ने किसी पर कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं की. 

विदेशियों को क्यों आकर्षित कर रहा है सनातन
स्वामी कैलाशनंद गिरि ने कहा कि वेदांत का एक सूत्र है कि जब भारत एकात्मता की बात करता है, गंगा-युमना-सरस्वती, उस तट पर जो भी व्यक्ति आएगा, जो उसका जलपान करेगा, जो उसमें डबकी लगाएगा, जो उसका वंदन करेगा, उसको शांति, ज्ञान और मोक्ष तीनों में प्राप्ति होगी. विदेशियों को. चाहे वे छोटे हों या बड़े, जब उनको इस बात का ज्ञान हुआ कि भारत के लाखों-करोड़ों साधु, भारत के करोड़ो जनमानस इस आस्था की डुबकी लगाकर स्वयं को पवित्रा और पवन कर रहे हैं तो उनकी इच्छा हुई किसी साधु, किसी महापुरुष से मिलने की. 

उन्होंने आगे कहा कि मेरा मनाना है कि गंगा केवल मोक्ष नहीं देती है. गंगा सबसे पहले ज्ञान देती है. फिर गंगा बैराग देती है, फिर गंगा भक्ति देती है और अंत में गंगा मोक्ष देती है. गंगा जी का जल जल नहीं है. गंगा जी का जल अमृत है. यमुना जी जल सर्वश्रेष्ठ है और सरस्वती का एक बूंद जल पान करने की मात्रा से हमारी बुद्धि निर्मल और पवित्र होती है. और जब लोग शिविर में कुंभ क्षेत्र में आते हैं तो उनको एक अभूतपूर्व शांति के अनुभूति का एहसास हुआ. इस कालखंड में और इस घड़ी में जो आनंद महाकुंभ के द्वारा, संतन के द्वारा, परंपरा के द्वारा और जनमानस के द्वारा, मीडिया के द्वारा, जो संदेश पूरी दुनिया में गया है वो अनोखा है दुर्लभ है.

'एलन मस्क महाकुंभ आना चाहते थे'
स्वामी कैलाशनंद गिरि से पूछा गया कि क्या आपको विदेशियों के कोई पत्र भी आए हैं कि कौन-कौन यहां आना चाहता है. इस पर स्वामी कैलाशनंद गिरि ने कहा कि उन्हें लॉरेन जॉब्स का मैसेज आया तो उन्होंने उन्हें कमला नाम दिया. उन्हें दीक्षा दी. इसके बाद, एलन मस्क का भी मैसेज आया कि वह आना चाह रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि वह शिविर में आकर रहना चाहता थे. उनका मेल आया तो एक मेल आश्रम की तरफ से गया कि वह क्यों आना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें लॉरेन जॉब्स ने स्वामी जी के बारे में बताया और वह आना चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारतीय परम्परा में सनातन सर्वपरि है, सनातन सर्वश्रेष्ठ है, सनातन सर्वोत्कृष्ट है. सनातन से दुनिया के बहुत सारे लोग जुड़ना चाहते हैं. 

 

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