कहते हैं श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए एकादशी का व्रत सबसे उत्तम दिन है. एकादशी का व्रत शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तीनों ही प्रकार से शुभ और लाभ का कारक है. एकादशी का ये व्रत श्रीहरि के सभी अवतारों की साधना का पर्व है. श्रीहरि की उपासना ऐसी है कि इसके प्रताप से समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सकती है. हर एकादशी महत्वपूर्ण है और हर एकादशी की अपनी अलग महिमा है. हिंदू परंपरा में एकादशी को पुण्य कार्य और भक्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. माना जाता है कि व्रतों में सबसे बडा व्रत एकादशी का है और ये व्रत इंसान की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर विशेष सकारात्मक प्रभाव डालता है.
क्या है शुभ मुहूर्त?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी की शुरुआत 9 अक्टूबर सोमवार को दोपहर 12 बजकर 36 मिनट पर होगी और 10 अक्टूबर मंगलवार को दिन में 3 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत 10 अक्टूबर को ही रखा जाएगा. इंदिरा एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 11 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 39 मिनट के बीच होगा.
एकादशी की महिमा ?
वैसे तो व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा,अमावस्या और एकादशी के व्रत माने जाते हैं लेकिन इनमें भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है. ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है और ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है. शास्त्रों के अनुसार इंदिरा एकादशी पर गया में नदी किनारे तर्पण करने से 7 पीढि़यों के पितर संतुष्ट हो जाते हैं. इसके साथ ही पितृ दोष भी समाप्त हो जाता है.
इंदिरा एकादशी का महत्व ?
- एकादशी व्रत के मुख्य देवता भगवान् विष्णु, श्रीकृष्ण या उनके अवतार माने जाते हैं.
- आश्विन मास में एकादशी उपवास का विशेष महत्व है
इस व्रत से मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते हैं. खास तौर पर एकादशी का ये उपवास गंभीर रोगों से रक्षा करता है.
- पाप नाश और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए आश्विन मास की इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व है.
- इस व्रत के प्रताप से पापों का नाश तो होता ही है साथ में पूर्वजों को भी मुक्ति मिलती है.
पितरपक्ष में खास महत्व
पितरों की तृप्ति के इन दिनों में पड़ने के कारण ये एकादशी और भी फलदायी है. कई बार पितृरों का उद्धार न हो पाने के कारण पितृदोष लग जाता है जिससे हर कार्य में बार-बार रुकावटें आती हैं. ऐसे में ये व्रत वरदान के समान है. इस व्रत को पूर्ण विधि-विधान से रखेंगे तो पितृरों का उद्धार होगा. इस तिथि को कुछ विशेष उपायों और प्रयोगों से अतृप्त और अशांत पितृ गणों को मुक्ति दिलाने के उपाय भी किए जा सकते हैं.
भगवान श्रीकृष्ण ने भी महाभारत में इंदिरा एकादशी के महत्व का उल्लेख किया है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस दिन व्रत रखने से पितरों की आत्मा को मोक्ष मिलता है. इंदिरा एकादशी पर भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम की पूजा की जाती है. इस बार इंदिरा एकादशी का व्रत 10 अक्टूबर, मंगलवार को रखा जाएगा.ऐसी मान्यता है कि अगर आप पितृपक्ष में किसी कारण से पूर्वजों का श्राद्ध नहीं कर पाए हैं तो इस दिन व्रत करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
पितरों के लिए इस दिन क्या विशेष प्रयोग करें ?
- पितृ पक्ष की एकादशी के दिन महाप्रयोग करके पितरों के लिए शांति की कामना करें
- एकादशी के दिन उड़द की दाल, उरद के बड़े और पूरियां बनाएं, इस दिन चावल का प्रयोग न करें
- एक उपला जला लें और उस पर एक पूरी में रखकर उड़द की दाल और उड़द के बड़े की आहुति दें.
एक जल से भरा पात्र भी रखें, फिर भगवद्गीता का पाठ करें.
- निर्धनों को भोजन कराएं और उनका आशीर्वाद लें
इंदिरा एकादशी व्रत की सावधानी