अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए अक्षत बांटकर न्योता दिया जाएगा. मुख्य समारोह से पहले परंपरा अनुसार अक्षत पूजन होगा जिसे आस-पास के गांव और लोगों को बांटकर इस बात की सूचना और निमंत्रण दिया जाएगा कि रामलला अपने नए भव्य मंदिर में विराजमान होने वाले हैं.
अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख की औपचारिक घोषणा के बाद इसको लेकर तैयारी तेज हो गई है. पूरी अयोध्या में अलग अलग प्रॉजेक्ट्स पर काम तेज कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार के अलग अलग विभाग इसमें लगे हैं. वहीं प्राण प्रतिष्ठा की पूजा और व्यवस्था को लेकर भी श्रीराम ट्रस्ट विधि विधान की रूपरेखा तय करने में जुट गया है. प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम काशी के आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित सम्पन्न कराएंगे. उनकी सहायता के लिए उनके बेटे और सहयोगी मौजूद रहेंगे, जो पूजा में सहयोग करेंगे.
अक्षत बांटकर दिया जाएगा न्योता
प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य समारोह में यजमान के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूजा में शामिल होंगे. प्रधानमंत्री सभी कार्यों को यजमान के तौर पर ही संपादित करेंगे. प्रधानमंत्री पूजा का संकल्प लेंगे. ये तय किया गया है कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले नवनिर्मित गर्भगृह में ‘अक्षत पूजन’ होगा जिसके माध्यम से राम भक्तों को निमंत्रण दिया जाएगा.
वैदिक परंपरा की पूजा में अक्षत का महत्व
अक्षत (साबुत चावल) को अक्षय माना गया है. इसलिए वैदिक परंपरा की पूजा में इसका विशेष महत्व है. राम जन्मभूमि पर रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि शास्त्रीय रीति से वैदिक पूजा कर्मकांड होगा पर जिस तरह से अवध में परंपरा है उस तरह आस पास लोगों को न्योता दिया जाएगा. 15 जनवरी से ही अलग अलग कर्मकांड की शुरुआत हो जाएगी जबकि 22 जनवरी 2024 को दोपहर 12 बजे मुख्य पूजा होगी. उस शुभ संयोग बन रहा है और मृगशिरा नक्षत्र होगा. शास्त्र और ज्योतिष के विद्वान संतों और विशेषज्ञों से परामर्श कर श्रीराम ट्रस्ट ने ये तिथि तय की है.
जलाधिवास, अन्नाधिवास जैसी पूजा परंपरा का होगा निर्वाह
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बैठक की थी. इसमें श्री राम ट्रस्ट से जुड़े संत शामिल हुए थे. इसमें वैष्णव, शैव और शाक्त सभी पूजा पद्धति को मानने वाले संत थे. सत्येंद्र दास बताते हैं कि इसके बाद सभी ने अपने मत रखे. रामलला की पूजा वैष्णव मत के रामानंदीय परंपरा से होती रही है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की पूजा-कर्मकांड वैष्णव मत के अनुसार होगी. हालांकि पूजा के आयोजन में पाठ सभी मतों के संत अपनी पद्धति के अनुसार पाठ करेंगे.
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि 'राम की प्राण प्रतिष्ठा पूजा में जलाधिवास, अन्नाधिवास, पुष्पाधिवास, औषधि अधिवास जैसी पूजा परम्पराओं निर्वाह होगा. वैदिक मत और कर्मकांड की विशिष्ट परम्परा के अनुसार ये देव प्रतिमा या विग्रह को स्थापित करने के लिए ये चरण होते हैं. प्राणप्रतिष्ठा की पूजा के बारे में बताते हुए सत्येंद्र दास कहते हैं कि राम स्वयं धर्म का मूर्त रूप हैं. पूजा में सब मंत्र राम से सम्बंधित होंगे. जैसे जहां ‘देवस्य’ प्राण प्रतिष्ठा कहा जाता है वहां ‘रामस्य’ प्राण प्रतिष्ठा कहा जाएगा.